पथ शांति के रहे कहाँ ,
दुर्जन मन आकार लिया /
शोषक का पोषक होता है ,
सत्य-शील लाचार हुआ /
रोती करुणा अब द्वार-द्वार -----
शहीदों के अरमानों का .
किंचित -मात्र सम्मान नहीं /
सर्वस्व न्योछावर कर डाले ,
उनका ही हिंदुस्तान नहीं /
अंचला का आंचल तार-तार ----------
ये राम ,कृष्ण की धरती है ,
ये धरती सोना उगले /
रोटी नहीं इंसाफ नहीं ,
बसन नहीं तन ढ्क ले /
समय मौत संग रहे गुजार -----------
जिह्वा पर धर्म ,बसन है ढोंगी ,
हिंसक कृत्य ,अहिंसक नारा /
उधृत करते ग्रन्थ -बचन ,
मन मलीन, तन प्यारा -प्यारा /
अन्यायी ,न्याय की करे गुहार ---------
अमृत -धार, बहाती नदियाँ ,
कुबेर-नगरी है हिंदुस्तान /
बीन पानी जन , तड़फ रहे ,
भूखे पुरवे हो रहे वीरान /
मधु-शाला का चढ़ता कारोबार ----
गाँधी की रीत अब रही कंहाँ,
शांति का मधुबन टूट गया /
कोकिल का गाना जहर हुआ ,
खुशियों का सावन रूठ गया /
चहुँ -और मचा है ,हाहाकार -------
हिन्दू मुस्लिम ,सिख ,ईसाई ,
जिनका भारत अपना था /
आज अजनवी कैसे हो गए ,
एक भारत जिनका सपना था /
घृणा की कैसी चली बयार --------
शिक्षा ,स्वास्थ्य ,सुरक्षा का ,
अधिकार सिमटता जाता है /
डाइटिंग करता रोटी वाला ,
श्रम-साधक भूखा मर जाता है /
बढ़ रहा निरंतर भ्रस्टाचार -------
झूठ -फरेब अपराधों का ,
जितना बड़ा हुनर होगा /
उतनी ज्यादा दौलत होगी ,
रक्षा में गार्ड, गनर होगा /
मन-बढ़ ,धनबल का संस्कार ---
शिक्षा बिकती , खरीद रहे ,
डिग्री दलाल के हांथों में /
ज्ञान -सृजक अज्ञात मरे ,
पुरस्कार अपात्र के खातों में /
उदय देखता कदाचार ----
उदय वीर सिंह .
२३/०७/२००८
शिक्षा बिकती , खरीद रहे ,
डिग्री दलाल के हांथों में /
ज्ञान -सृजक अज्ञात मरे ,
पुरस्कार अपात्र के खातों में /
उदय देखता कदाचार ----
उदय वीर सिंह .
२३/०७/२००८
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