गीत , हृदय के सरगम होते ,
जो उनके तुम स्वर होते --------
झरती गीत ,मधुर निशिवासर ,
वो पल कितने सुंदर होते ---------
लता- सी लिपटी बाहें होतीं ,
कारे- केश घटा , बदली /
सुरमई नयन, कपोल चपल ,
होंठ, सजे कश्मीर कली /
काव्य -मयी , काया खिल जाती ,
स्पर्श तेरे प्रियवर होते -----------------
मरू - भूमि की तपन ना होती ,
हिम -गिरी जैसी शीत नहीं ,/
सुनामी - सी लहर ना होती ,
दावानल की , प्रीत नहीं ,/
दग्ध ह्रदय , मरू -भूमि न होता ,
शीतल- जल , निर्झर होते ----------------
मादक धुन आवेदन शुभ का ,
आरम्भ उत्सव ,संगीत नवल /
इन्द्रधनुषी छटा बिखरती ,
सजी प्रकृति , ज्यों रंग-महल /
बरसे पुष्प ,सुगंध विखरती ,
पथ मेरे रहबर होते ----------
तेरी - आँखें , सपने - , मेरे ,
छूते गगन , जो पर होते ---------
उदय वीर सिंह .
१२/११/२०१०
2 टिप्पणियां:
मेरी टिप्पणी क्यों हटा दी गयी ? करण बताएँगे ? मेरा मेल आई डी है ...
sangeetaswarup@gmail.com
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