धार नहीं , झरना होता ------
सूनी आँखें , किसे सहेजें ?
कोई तो सपना होता /----------
चले कदम तो रोक ना पाई ,
कह ना पाई आ जाओ /
बिन- तरुअर , पंछी ठौर कहाँ ?
ऊँची उड़ान , पर मत जाओ /
मैं अकिंचन , पछताई ,
कह पाती ,जो कहना होता /--------
रहते थे जब पास मृदुल
बिन बोल , हृदय गाता रहता /
दृगों की ज्योति अनन्त हो जाती ,
सुखद स्मृतियों का रस झरता /
जाग्रत ,देह ,सोयी क्यों पगली ,
शापित ना जीवन होता /---------
झटकाए मैनें कर अपने ,
जो सदा करों के साथ रहे /
गहे अंक संबल थे ,पथ के ,
अब साथ नहीं , आघात रहे /
क्यों मूक रही वाचाल नहीं ?
कुछ दूर सही , चलना होता /----------
पांओं में घाव , कांटे लड़ आये ,
पर तेरी पीर से है , कमतर /
है याद मुझे विषधर ने काटा ,
विष-हीन किया , विष , को पीकर /
तुम भूल चले ,है याद मुझे ,
कुछ कह लेते तो क्या होता ! ---------
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पाती ठंढ , अंक भर लेती ,
कोई तो अपना होता /----------
उदय वीर सिंह
१८/११/२०१०
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