गुरुवार, 25 नवंबर 2010

***जीवन***

मुझे तेरी तलाश है ,
करो स्पस्ट !
करनी होगी मेरी जिज्ञासा शांत  /
अब असहज लगते हैं , पल  ,
    " गुनाह उनका था प्यार करना "
फरमान जारी --सजाये-मौत   ,
हंशों के जोड़े झूल रहे ,    सलीब  पर !
 कुछ चढ़ गये ,  कुछ चढ़ाये गये  /  ---------
* लिए हृदय में आस  ,विस्वास 
सुखी,सुंदर ,दांपत्य जीवन ,
सुनहरे   संसार,  का देखा   स्वप्न  ,
सहा विछोह ,बाबुल का ,
माँ-बाप का  ,स्नेहिल आंगन का  ,
ना पूरी आस !
दहेज़ की आग में  ,
  *कुछ जल गये ,कुछ जलाये गये "    /-------
* विरुदावली गाते -देवता बसते हैं ,जहाँ नारियां पूजी जाती हैं " 
जब लांघी झूठी रेखा ,"जिसका  जीवन  दान नहीं "
बेबस ----
कुछ मिटती हैं ,कुछ मिटा दी जाती हैं  /-------
* बिलबिलाते भूख से याचना करते भीख की "
अपाहिज,अनाथ, बच्चे  सफ़र में ,गलियों में  ,
कुछ को बनाया  मुफलिसी ने   
कुछ लाचार बनाये गये   ---------
*सत्य, सदाचार ,सम्भाव ,चाहिए सबको ,
सारे धर्म कहते हैं ,उनका सार   कहता है  /
जब आयी बात झुकने  की , मंजूर नहीं होता  ,
खिंच जाती शमशीरें  ------,
कुछ मिट जाते हैं   ,कुछ मिटाए जाते हैं  /-----
    खुदगर्ज़ ,ठूंठ - तने के   वारिस ,सलामत हैं /
    कसाब ,कोली ,पंधेर को मिलती मुहल्लत है !
पवित्र है तब -तक शमशान  भी ,
जब तक ये वहां नहीं जाते /
हैरान है उदय पूछता  ---
तुम किसके हो  ,पक्षकार  ? इन्सान  या  शैतान  के   ?
कब तक  दोगे साथ ?
उनका जीवन !

                     उदय वीर सिंह
                       २४/११/२०१०


   

1 टिप्पणी:

ASHOK BAJAJ ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना .