अगर हो सके तो मुझे दीजियेगा -----------
केवल प्रगति के शिखर तो ना होंगे !
पग कहीं तो रुकेंगे ,निरंतर ना होंगे /
ठाहरी जिंदगी को डगर मैंने माँगा ,
अगर हो सके तो मुझे दीजियेगा ------------
उजालों के घर रोशनी की कमी क्यों !
एक किरण की जरुरत मुझे भी तो होगी /
अँधेरे शहर में ,दीया , ही सही ,
अगर हो सके तो मुझे दीजियेगा --------
सपनों के सहर से उम्मीदें बहुत हैं ,
सपने सच ना होते ,पर देखे तो जाते !
कागज ही सही ,वादियों को उकेरे ,
अगर हो सके तो मुझे भेजिएगा ------------
जिंदगी एक सफ़र है तय करना तो होगा ,
साया ही मेरा हम -सफ़र , साथ होगा /
विस्वाश का घर जला देखता हूँ ,
उदय हो सके तो मुझे दीजियेगा -------------
उदय वीर सिंह .
२५/११/२०१०
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