ना जोड़े कोई तो, ना तोड़े कोई ------
वस् में नहीं मैं , बनू चन्द्रमा ,
घर सितारों के जाकर रहूँ /
दूर प्रियतम से, बेबस खिली चन्द्रिका ,
पीर दिल की , मैं किससे कहूं /
टूटे - दर्पण में चेहरा ना देखे कोई -----------
चांदनी रात आती है अब फिर नहीं ,
पुष्प महंकेगे किसके लिए ?
चला जो गया , ले बसंती फिज्जां
कोयल गाए तो किसके लिए ?
दर्द-ए प्रीतम का ,दिल से , ना निचोड़े कोई -------
दिल पवन है , दरिया है जो बहता सदा ,
रोक पायेगा कैसे कोई ?
दिल धड़कन ,जीवन है, सलिल प्यार का ,
खाक कर देगा कैसे कोई ?
धार , उलटी गंगा की ना मोड़े कोई -----
हाँथ मजधार में ले ,ना ,छोड़े कोई ------------
उदय वीर सिंह .
१३/११/२०१०.
3 टिप्पणियां:
बहुत बढ़िया और सार्थक प्रस्तुति. आभार.
beautiful creation.
truly brilliant..
keep writing......all the best
एक टिप्पणी भेजें