प्रतीक्षित , तेरा आगमन ,स्वागतम ,
की थी तलाश सबमें शरीर , सूरा ,इत्र, पंक, कुसुम -वादियों में ,
अपनी मिटटी , अपनी स्मृतियों में /
पाई तो गयी ,बांध ना सका ,हमेशा के लिए ,
चलायमान जो ठहरी /
तेरी आहट समस्त सांसों को शंशय- मुक्त करती है -----
उदघोष करता है वातावरण-- तेरा सुखद अस्तित्व , तुम हो /
बह चली, किस गली ? ,किस पथ ? किसे मालूम ,
बस तुम आ गयी ,समां गयी , मन में , तन में , बहती पवन ,
आँगन , उपवन में /
उल्लसित ह्रदय , विरक्त हो त्रास से , बोल उठता है ,
तू, यथार्थ है संवेदना का , वांछित है नित्य , प्रिय भी /
स्वागतम तेरा /
प्रकृति के सुंदर रूप ,
बे-जुबान ,सींचते प्रेम की भाषा ,
लहराते सौन्दर्य रंग -बिरंगे, अप्रतिम दृश्यों को सजाते ,प्रसूनों की -
अद्वितीय प्रतिनिधि !
समर्थक तेरे मनुष्य ही नहीं , इतर - मनुष्य भी हैं ,
समायी चहूं ओर कितनी विचित्र ,
आती ना हाँथ , होकर कितनी पास , पकड़ से दूर /
अंतर्मन की गहराईयों में तेरी पहुँच ,
हस्ताक्षर हो --
वफ़ा का -बेवफा का ,
पढ़े गये निवेदन - प्रतिवेदन ,तेरे सानिध्य में ,---
संकेतक हो !साक्ष्य हो / ---
संकेतक हो !साक्ष्य हो / ---
स्पस्ट उकेर देती हो स्मृतियाँ ,स्मृति पटल पर /
कैसी थी रुत ? मिलन की ,बिछुड़न की ,प्यार की ----
कैसी थी शाम ? रौनक - ए -महफ़िल ?
अहसास को , पास रखने की हिमाकत !
सजाते गुलशन ,गुलदस्ते ,
अर्क ,बोतल -बंद किये जाते /
जब तक हो !
आनंद है , उन्माद है , अनुभूति है /
मुरझा जाते है पुष्प ,सड़ांध आती है /
मरहूम तुमसे ,खाली शीशियाँ ,
फेंक दिए जाते हैं कूड़ेदान में /
तेरे जाने के बाद /
महक !
उदय वीर सिंह
01/12/2010
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