मूर्त ,
प्रवाहित रसधार ,
अमृत का स्रोत ,
बिरंची की विभिन्ताओं का पर्याय ,
स्थूल /
निखिल ब्रह्माण्ड का soogyat स्थल ,
शरण स्थली ,अजेय विजेताओं की ,
भूले ,बिसरे उपेक्षित आशाओं की ,
नमन ,स्थल -
योगी , यती , देवताओं का /
एक मात्र सुरक्षित कवच ,
जीव के सृजन का /
निर्माण जिसका अद्वितीय ,
आकार vishal इतना ,
असंख्य ताज, महल समां जाये /
साक्षी अनंत काल का ,
अतीत का ,
भविष्य का ,
वर्तमान का ,
- देदीप्यामान ,हस्ताक्षर /
मिट गये राजा और रंक ,
मिटे सृजन ,श्रीस्तियाँ ,स्मृतियाँ ,
प्रभा -मय ,निर्भय ,
अडिग आज भी
निश्चल भाव में है /
नहीं है इसके पास ,
दैन्यता ,विपन्नता ,पक्षपात ,
भेद , भ्रष्टाचार ,
ना कोई श्याह , ना सफ़ेद /
विकृतियाँ हमारी हैं ---
मिटने को , मिटाने को तत्पर ,
बनने को इश्वर !
होकर निरुतार
लौटते हैं ,
gahate हैं शरण /
यात्रा का प्रारंभ ,
अंतिम पड़ाव ,
-आंचल .......
माँ का या मौत का /
उदय वीर सिंह ,
१७/१२/२०१०
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें