कुछ विनय भरी ,कुछ प्रेम भरी ,
कुछ कड़वी , सुन लो प्रीतम -----
निखिल विश्व में ,एक सलोने
सब कहते , तुमको प्रीतम -------
होंठों पर मुस्कान प्रतिष्ठित ,
कुंदन सा सुन्दर प्रीतम ---------
चन्दन सा घिस भाल संभाले ,
इतना इक्षित होता प्रीतम --------
फीके आभूषण, आभा हीन ,
श्री -प्रकाश होता प्रीतम -------
निशा घनेरी विषम पलों में ,
दिनकर बन जाता प्रीतम --------
जलता सूरज सावन मांगे ,
तपता राही छांव मिले ----
बंधी प्रीत भूले जो गोरी ,
उसे प्रीतम का गांव मिले -------
कोयल कूके प्रीतम- प्रीतम ,
कागा भी संग बोल रहा -------
राज -हंस का प्रेम - ग्रन्थ भी ,
प्रीतम का संग खोज रहा -----------
क्रमशः ----------
उदय वीर सिंह
२६/१२/२०१०/
1 टिप्पणी:
खूबसूरत रचना ...पुस्तक के लिए अग्रिम बधाई और शुभकामनायें
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