आसमान की उंचाईयों से समुद्र के बीच में दिखता फूलों के गुलदस्ते मानिंद अंडमान , सचमुच प्रकृत की एक अनुपम धरोहर है / कहते हैं स्वर्ग ऊपर कहीं है ,परन्तु मुझे लगता है ,वह निचे ही अंडमान में है / जालिमों ने जिसे काला- पानी की संज्ञा देकर सजा दिया , वह वास्तव में तीर्थ बन कर सज गया , हमारे स्वाभिमान की चादर में /-------
मित्रों ! मैंने जो देखा , दिल की गहराईयों से महसूस किया , अपनी समझ के मुताबिक ,कलम- बध्ह किया / वैसे शब्द नहीं हैं ,उस अंतहीन व्यथायों ,यातनाओं, दुखों को वर्णित करने को ,जो भारत माँ के वीर सपूतों ने सहे / वीर -सावरकर, भान सिंह, गणेश दामोदर, --------------------शेर अली आदि , अमर- वलिदानियों के अंतिम जीवन- यात्रा की स्थली, सेलुलर जेल , की कोख ने मरने नहीं दिया जज्बातों को , बुझने नहीं दिया उस शमाँ को , जिसके तले आज हिंदुस्तान रोशन है / मेरी रचना एक श्रधान्जली है अमर शहीदों के प्रति , एक सम्मान है अंडमान को /
*******--------*******---------*******
नमन करता हृदय तुम्हें ,
मेरे स्वाभिमान !
अंडमान !
विरासत के प्रवक्ता , प्रलेख,
तेरे पन्नों पर किये गये ,हस्ताक्षर
महान !
पथ बन गये , जिधर गये ,
शक्ति -पुंज - मात्रिभूमि के लाल ,
हँसते - हँसते हो गये
कुर्बान !
तेरे आँगन में पाई छांव
दिया तुने , अमर-प्रेम , सन्देश ---
सहनशक्ति की भाषा ,
अभिलाषा ,
एक दिन होगा स्वतंत्र
हिंदुस्तान !
सेलुलर तेरी कोख में ,
बीते पल , माँ की गोंद जैसा ,
अमरता पाई वलिदान देकर ,
तेरी गोंद में पनाह लेकर ,
बन्दे - मातरम गाते हुए ,
शहीदों ने लिखी
दास्तान !
अंडमान , रहोगे सदा
तीर्थ बनकर /
तूं सखा , शरण -स्थली , साक्षी
वतन पर मिटने वालों का ,
उनके जाग्रत संदेशों का /
* शिक्षक आज मेरे वर्तमान का ,
तुझे नमन , सत, सत , नमन,
युगों तक प्रणाम ,
अंडमान !
उदय वीर सिंह
१७/०१/२०११
( पोर्टब्लेयर से )
मित्रों ! मैंने जो देखा , दिल की गहराईयों से महसूस किया , अपनी समझ के मुताबिक ,कलम- बध्ह किया / वैसे शब्द नहीं हैं ,उस अंतहीन व्यथायों ,यातनाओं, दुखों को वर्णित करने को ,जो भारत माँ के वीर सपूतों ने सहे / वीर -सावरकर, भान सिंह, गणेश दामोदर, --------------------शेर अली आदि , अमर- वलिदानियों के अंतिम जीवन- यात्रा की स्थली, सेलुलर जेल , की कोख ने मरने नहीं दिया जज्बातों को , बुझने नहीं दिया उस शमाँ को , जिसके तले आज हिंदुस्तान रोशन है / मेरी रचना एक श्रधान्जली है अमर शहीदों के प्रति , एक सम्मान है अंडमान को /
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नमन करता हृदय तुम्हें ,
मेरे स्वाभिमान !
अंडमान !
विरासत के प्रवक्ता , प्रलेख,
तेरे पन्नों पर किये गये ,हस्ताक्षर
महान !
पथ बन गये , जिधर गये ,
शक्ति -पुंज - मात्रिभूमि के लाल ,
हँसते - हँसते हो गये
कुर्बान !
तेरे आँगन में पाई छांव
दिया तुने , अमर-प्रेम , सन्देश ---
सहनशक्ति की भाषा ,
अभिलाषा ,
एक दिन होगा स्वतंत्र
हिंदुस्तान !
सेलुलर तेरी कोख में ,
बीते पल , माँ की गोंद जैसा ,
अमरता पाई वलिदान देकर ,
तेरी गोंद में पनाह लेकर ,
बन्दे - मातरम गाते हुए ,
शहीदों ने लिखी
दास्तान !
अंडमान , रहोगे सदा
तीर्थ बनकर /
तूं सखा , शरण -स्थली , साक्षी
वतन पर मिटने वालों का ,
उनके जाग्रत संदेशों का /
* शिक्षक आज मेरे वर्तमान का ,
तुझे नमन , सत, सत , नमन,
युगों तक प्रणाम ,
अंडमान !
उदय वीर सिंह
१७/०१/२०११
( पोर्टब्लेयर से )
3 टिप्पणियां:
शहीदों को नमन ...बहुत भावपूर्ण रचना ....
सुन्दर अभिव्यक्ति……………नमन्।
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 25-01-2011
को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.uchcharan.com/
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