प्रिय मित्रों ,
स्वतंत्रता के हवन कुण्ड में हमारे प्यारे देश के, लाखों वीर सपूतों ने ,अपने प्राणों की आहुति दी ,जिसका हम मोल
कई जन्म लेकर भी नहीं चूका सकते / इसी कड़ी में यातनाओं की, बर्बरता की ,बेइंतहा जुल्मों की क्रूरतम स्थली के रूप फिरंगियों ने अंडमान के हृदय -स्थल में सेल्युलर -जेल को विकसित किया / जिसको काले -पानी की सजा की , संज्ञा दी गयी है / अंडमान के चारो तरफ हजारों मील तक फैला समुद्र , भाग कर कोई मौत ही पाता ,अन्य छोटे टापुओं पर पानी नहीं ,विषैले जीव -जंतुओं का निवास ,इसके बावजूद सतत निगरानी / कोई राह नहीं बचने की / इससे भी उनका भय समाप्त नहीं हुआ ,देश-प्रेमियों की नजरें उन्हें तीर सी चुभती थीं / कृशकाय तन ,परन्तु अंगार बरसाती आँखों ,बुलंद हौसलों ,देदीप्यमान भालों से ,इतना डर था कि सेल्युलर (कोशों वाली ) कारागार का निर्माण करना पड़ा / ७ गुने १३ की काल-कोठारियों में सालों /आजीवन कारवास , की सजा भारत माँ के सच्चे लालों ने अंतहीन यातनाओं के साथ कैसे बिताये ,वर्णित नहीं किया जा सकता /महसूस किया जासकता है / ऐसे समय में ,वातावरण में ,मनुष्य विक्षिप्त हो जाता है ,किन्तु महासागर सा दिल रखने वाले स्वतंत्रता के ध्वज-वाहक इंक्लाव / वन्देमातरम के गीत गाते रहे / फिरंगियों की कारा (सेल्युलर ) अमर सपूतों के लिए
छाँव बन गयी / देश -प्रेम का आँगन बन गया ,जहाँ से लौ बुझी नहीं ,अनवरत जलती रही देश-प्रेम ,वलिदान की /
हमने टूटी-फूटी भाषा में सजाने की नहीं ,बस हृदय में उतारने की कोशिश की है , मन के भावों को पहचान देने की चाहत है ,शायद स्वीकार होगी ---------
सेल्युलर तेरी शान में ,हम कुछ नहीं कहते ,
तेरी पनाहों में ,मशाल-ए -हिंद जला करते हैं /
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सेल्युलर तेरी कोख में ,
शमां रोशन रही देश-प्रेम की ,
तेरी बांहें देती रही उर्जा
मिटने की ,
भारत माँ की वलि- वेदी पर /
अंतहीन गाथा ,वेदनाओं की ,
जालिमों की ,जुल्मों की /
ना डिगा सके पग पीछे ,
जो खायी थी कसम ,वतन की राह में /
*छीन ली सूखी रोटियां ,देकर ,
बनाये कोल्हू के बैल ,जलता तन ज्वर में ,
फिर भी चलती चक्कियां ,
बिन वस्त्र , तोड़ते पथ्यर ,
प्यासे हाँथ रुके नहीं ,
की बरसते कोड़े ,दे जाते अथाह पीड़ा ,
फूटता फौव्वारा खून का ,
छिडकते नमक ,जख्मों पर ,मरहम की जगह /
तेरी आँखों ने देखा था न !
वीर सावरकर ,भान सिंह,शेर अली की ,
गूंजती ,हुंकार भरती ध्वनि ----
इंक्लाव की /
फिरंगियों के जुल्म ,
उर्जा बन गये प्रहार के /
चुमते गये ,फांसी के फंदे ,
ना छुए आततायियों के पैर ,
गाते रहे अलमस्त ----सहजादे देश - प्रेम के ----
वन्दे मातरम /
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तू कितना ,भग्यवान है ,
दिल चाहता है चूमने को तेरी -दरो-दिवार को ,
तेरी छांव में बीते थे दिन अमर शहीदों के /
तेरे आंगन में खनकीं बेड़ियाँ उनकी,
तेरी गलीयों सेगुजरे दीवाने गाते हुये ,-----(देखना है जोर कितना -----------
तू अंत समय के साथी !
छुआ था उनके घावों को ,मखमली पवित्र पांओं को ,
तेरे आंगन से गुजरा कारवां उनका ,
जो चलता गया ---------
मिटता गया --------
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तू तीर्थ है ,अमीर है ,शाह-ए तकदीर है ,
तेरी पनाह से हंसते -हंसते ,
मेरे वीर गये --------------
उदय वीर सिंह
( पोर्ट ब्लेयर से )
2 टिप्पणियां:
तू तीर्थ है ,अमीर है ,शाह-ए तकदीर है ,
तेरी पनाह से हंसते -हंसते ,
मेरे वीर गये --------------
सेल्लुलर जेल को देखने के बाद आँखें नम हो जाती हैं..कितनी कठोर यातनाएं सहीं हमारे देशभक्तों/शहीदों ने..बहुत मर्मस्पर्शी प्रस्तुति..
सेलुलर जेल और अंडमान पर आपकी प्रस्तुति अछि लगी...हम तो अंडमान में ही हैं, सो रोज ही इनसे दो-चार होते हैं. कभी 'शब्द-शिखर' पर भी पधारें.
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