सजाये किसी ने , तो गाए किसी ने -----------
स्वर गूंजते हैं , मधुर रागिनी में ,
मरू-भूमि से मीरा के प्रियतम की भाषा /
बावरी की वीणा में कान्हा के दर्शन ,
विष-प्याला भी गाता अमरता की गाथा /
साज बनकर विरह गीत गाए किसी ने ,
प्यार बन करके पाहुल , पिलाये किसी ने ----------
शंकर की वाणी से निकला सुधा -मय ,
भज गोविन्दम, भज गोविन्दम मूढ़ मते /
निशिवासर रगों में खनकता ही रहता
व्शुधैव कुतुम्कम के बोलों पर चिमटे /
मूल्यों के मोती तो बिखरे थे कितने
भावों की माला बनाये किसी ने --------------
कविरा की गीतों में , गंगा का पानी ,
मुल्ला व् पंडित जी दोनों ही पीते /
समय ने दिए जब आघातों के खंजर ,
राम के नाम से जख्म दोनों ही सीते /
ऋषियों की वाणी में एका का पंचम ,
गाए किसी ने , भुलाये किसी ने --------------
बंसरी के सुरों में , सुर बहते रहे
अमर - प्रेम राधा के , गाते रहे /
रामायण में तुलसी ने जीवन बसाये
,आदर्श जीवन सजाते रहे /
नान्हू ने गीतों में रब को समाया ,
कठौती में गंगा को लाये किसी ने ----------
जलती रहे लौ अमन की चमन में ,
बुझाये किसी ने , जलाये किसी ने ----------
देखो शिला पर उदय चित्र कितने ,
बनाये किसी ने , मिटाए किसी ने ----------------
उदय वीर सिंह
०७/०१/२०११
1 टिप्पणी:
अतीत के गीत भी वर्तमान मे भी अपनी पहचान बनाये हुये हैं और यही इनकी सार्थकता का प्रमाण है।
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