शहर- ए - वफ़ा में ना हम गीत गाते ,
ना हम तुमको रोते , ना तुम हमको रोते -------
सितम ही सितम हैं सितमगर की गलियां ,
इज़ाफा ही होता , कभी कम ना होते ----------
लहरोँ में कश्ती अब डूबी सी लगती ,
चला छोड़ माझी , जब दामन भिगोते -------
ज़माने की रैयत , रियाया रहा हूँ ,
बीती उम्र है सबे गम को ढोते ,---------
रोशन - जदा मेरी आँखें ना होती ,
गुज़र जाते दर से , नज़ारे ना होते ,---------
आना तो होगा धरातल पर एक दिन ,
उड़ानों में जीवन बसर तो ना होते ---------
.
क्यों हो गये हम ख्यालों के पंछी ,
उदय आश्मां में कहाँ घर हैं होते -------- -
उदय वीर सिंह .
०९/०२/२०११
1 टिप्पणी:
आना तो होगा धरातल पर एक दिन ,
उड़ानों में जीवन बसर तो ना होते ---------
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क्यों हो गये हम ख्यालों के पंछी ,
उदय आश्मां में कहाँ घर हैं होते -------- -
वाह वाह क्या बात है । सुन्दर सार्थक सन्देश दिया इन पाँक्तिओं के माध्यम से। बधाई।
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