'लॉन्ग-लॉन्ग एगो देयर वाज ए किंग '
बचपन में पढ़ते रहे कहानियां
जो सूत्रधार था ,जीवन के हर छुए - अनछुए पहलुओं का ,
सर्व शक्तिमान इश्वर की तरह .
रंग बदलने में माहिर , गिरगिट की तरह ,
संसार चारागाह था ,जीवन दास था उसका ---
आज अस्तित्वहीन हैं
राजा- रानी ,
संविधान में ---
प्रजा तंत्र ने दिया अर्थ --
स्वतंत्रता का ,अभिव्यक्ति का, शिक्षा का .
धर्म का ,समता का ,सम्मान का /
राजा ! ,जम्हूरियत की आवाज का प्रतिनिधि होगा -
वह -
उन्मादी, विक्षिप्त ,अविवेकी ,अहंकारी नहीं हो सकता ,
कदाचारी ,स्वेक्षचारी ,व्यभिचारी नहीं हो सकता ,
आदर्श, सम्मान का शिखर विन्दु होगा ,
अधिनायक भ्रस्टाचारी नहीं हो सकता ---
वह -
जनसेवक है ,धवज -वाहक है -
संविधान का ,कानून का ,
मानक है बहुमत का ,
तोड़क नहीं हो सकता ----
ये थे प्रजा-तंत्र के मानस- तत्त्व .
** आज परिस्थिति है ,स्थिति है ,
विचलन की ,व्यतिक्रम की, विकृति की ,
जन-सेवक के आवरण में राजा की आत्मा वापस लौट आई है ,
कर्मवीर - भूखा है ,
श्रम-साधक नंगा है
नौजवान - भ्रमित है , बेरोजगार है,
चूल्हे हप्तों तक नहीं जलते ,
अब एक नहीं अनेकों कालाहांडी हैं ,
चूसी हुयी गुठालियों के बीज खाने को मजबूर ,
सर्द शरीर में बेबसी की ज्वाला है ,
शरीर बेचने को मजबूर बाला है ,
बिकती कोख ,नौनिहाल लाचारी में ,
प्रजा -तंत्र के चिराग में कितना उजाला है !
** हम विकास के दौर में हैं ,
बढ़ रहा है प्रतिशत --
गरीबी रेखा का ,
बेरोजगारी का
** हम विकास के दौर में हैं ,
बढ़ रहा है प्रतिशत --
गरीबी रेखा का ,
बेरोजगारी का
महंगाई का ,अपराध का ,असंतोस का
अवमूल्यन का ,
स्पेसल फीचर लिए --
भ्रस्टाचार का !
******
राजनेता ,नौकरशाह पूंजीपति ,
सुरक्षित हैं ---- बंकरों में कानून के ,
जिसको अपने पक्ष में प्रभावित व परिभाषित कर रखा है ,
अन्ना हजारे कभी -कभी प्रकट होते हैं
तोड़ने का प्रयास करते हैं ------
दूर- संचार , चारा , खेल ,खाद्यान ,जमीं ,कफ़न ,
यानि जमीं - से- असमान से -पाताल तक घोटाले ही घोटाले --
प्रकाशित हैं /
क्या फर्क पड़ता है ?
३७% आबादी मर-मर के जी रही हो !
कानून के मुताबिक --
प्रक्रिया चल रही है ,कार्यवाही हो रही है ,
आभाव में सबूतों के बरी हो गए कितने ,
मामला विचाराधीन है ,
आरोपी कंचन चर रहे हैं ,
संविधान के तोड़क ,वाहक बन रहे हैं
कौन देगा गवाही उनके विरुद्ध ,
अपराधी बैजयंती ले रहे हैं /
पग-पग पर भ्रस्ताचार ,समाहित है
नैतिकता पलायित है
*
मौन है कार्यपालिका ,विधायिका , न्याय पालिका ,
मूक दर्शक होना प्रश्न -चिन्ह छोड़ता है ,
कैसे पनपा राजा -तंत्र ?
अभी जन्मा है एक राजा ,
करोड़ों -करोड़ अजन्मे हैं , गर्भ में हैं ,
कहीं भ्रूण हत्या न हो जाये ?
लाना होगा धरातल पर ,
नंगे शैतान ,जीवों को ,
बनाना होगा जबाब- देह
देश-द्रोहियों को ,
देना होगा जबाब ?
क्या बिगाड़ा था ,तैमूरो गोरी ,गजनी, अंग्रेजों के वंशज ?
ये मेरा प्यारा देश , तुम्हारा ?
क्यों बन गए ? राजा और राव --
लुटेरे !
उदय वीर सिंह
९/४/२०११
अवमूल्यन का ,
स्पेसल फीचर लिए --
भ्रस्टाचार का !
******
राजनेता ,नौकरशाह पूंजीपति ,
सुरक्षित हैं ---- बंकरों में कानून के ,
जिसको अपने पक्ष में प्रभावित व परिभाषित कर रखा है ,
अन्ना हजारे कभी -कभी प्रकट होते हैं
तोड़ने का प्रयास करते हैं ------
दूर- संचार , चारा , खेल ,खाद्यान ,जमीं ,कफ़न ,
यानि जमीं - से- असमान से -पाताल तक घोटाले ही घोटाले --
प्रकाशित हैं /
क्या फर्क पड़ता है ?
३७% आबादी मर-मर के जी रही हो !
कानून के मुताबिक --
प्रक्रिया चल रही है ,कार्यवाही हो रही है ,
आभाव में सबूतों के बरी हो गए कितने ,
मामला विचाराधीन है ,
आरोपी कंचन चर रहे हैं ,
संविधान के तोड़क ,वाहक बन रहे हैं
कौन देगा गवाही उनके विरुद्ध ,
अपराधी बैजयंती ले रहे हैं /
पग-पग पर भ्रस्ताचार ,समाहित है
नैतिकता पलायित है
*
मौन है कार्यपालिका ,विधायिका , न्याय पालिका ,
मूक दर्शक होना प्रश्न -चिन्ह छोड़ता है ,
कैसे पनपा राजा -तंत्र ?
अभी जन्मा है एक राजा ,
करोड़ों -करोड़ अजन्मे हैं , गर्भ में हैं ,
कहीं भ्रूण हत्या न हो जाये ?
लाना होगा धरातल पर ,
नंगे शैतान ,जीवों को ,
बनाना होगा जबाब- देह
देश-द्रोहियों को ,
देना होगा जबाब ?
क्या बिगाड़ा था ,तैमूरो गोरी ,गजनी, अंग्रेजों के वंशज ?
ये मेरा प्यारा देश , तुम्हारा ?
क्यों बन गए ? राजा और राव --
लुटेरे !
उदय वीर सिंह
९/४/२०११
3 टिप्पणियां:
अभी जन्मा है एक राजा ,
करोड़ों -करोड़ अजन्मे हैं , गर्भ में हैं ,
कहीं भ्रूण हत्या न हो जाये ?
लाना होगा धरातल पर ,
नंगे शैतान ,जीवों को ,
बनाना होगा जबाब- देह...
बहुत सटीक चित्रण आज की तथाकथित व्यवस्था का. आज एक आवाज उठी है और आशा है कि इस का भी हश्र और आन्दोलनों की तरह न हो. इस लिये इस आशा की ज्योति को सतत जलाए रखना होगा, वरना इतिहास हमें कभी माफ नहीं करेगा. आज अन्ना की जीत जनता की आवाज़ की जीत है.
आम आदमी की व्यथा को आपने बहुत खूबसूरती से उकेरा है..बहुत सुन्दर रचना..आभार
आज के यथार्थ का बहुत सटीक चित्रण...
Behtareen laga aapka blog lekhan aur havitaye bhi badhai
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