[जितना रहस्यमयी ,अनजाना आगमन एक महापुरुष का इस धरा पर होता है ,उतना ही कष्टमय उसका जाना भी होता है ,बस फर्क यही होता है ,पहले पहचानते नहीं ,और जब तक पहचानते वो रुखसत हो चूका होता है / कमों- वेस हर धर्म में यही हुआ है / महान आत्माओं के साथ यह नया नहीं है ,खुद को मिटाकर सृष्टि को सम्मानित किया है / देव दूत -ईशा मशीह के प्रयाण- दिवस पर मेरा नमन .श्रधांजली अर्पित है------]
प्रयाण-
मानवता की राह
समर्पण-
सेवा के प्रति ,वेदना से मुक्ति की चाह ,
निष्ठा -
मनुष्यता के प्रति माधुर्य ,
रचना -
विकास ,सृजन के आयाम ,
भाषा -
प्रेम की
निजता -
दुखियों से ,
वैर -
द्वेष से ,घृणा से ,प्रलम्भन,हठ से
दृष्टि -
एक ,निश्छल ,निष्पक्ष ,
दर्शन --
परमात्मा का अस्तित्व /
लेकर आये पैगाम --
** न देख सका ,न सुन सका , न कह सका ,
जमाना !
मद में था ,अज्ञानता के /
सीमित सोच ,
असीमित बनाती है ,दुःख को ,असमानता को ,असफलता को ,
जन्म देती है --
विध्वंश को ,विकृति को /
यही तो कहा था ,उस महान देव-दूत ने ,
रास नहीं आई चेतना ,दिशा ,प्रेम , सेवा ,
चढ़ा दिया ,व्यक्ति को नहीं ,
विचार को ,
शूली पर /
जो बिखर तो गया ,
पर दिलों में /
अमर हो गया ,----
स्वीकृति देनी होगी ,
हमको आपको ,सबको ,
संकीर्णता से
ऊपर उठ
कर सुविचारों को ----
उदय वीर सिंह
२२/०४/२०११
प्रयाण-
मानवता की राह
समर्पण-
सेवा के प्रति ,वेदना से मुक्ति की चाह ,
निष्ठा -
मनुष्यता के प्रति माधुर्य ,
रचना -
विकास ,सृजन के आयाम ,
भाषा -
प्रेम की
निजता -
दुखियों से ,
वैर -
द्वेष से ,घृणा से ,प्रलम्भन,हठ से
दृष्टि -
एक ,निश्छल ,निष्पक्ष ,
दर्शन --
परमात्मा का अस्तित्व /
लेकर आये पैगाम --
** न देख सका ,न सुन सका , न कह सका ,
जमाना !
मद में था ,अज्ञानता के /
सीमित सोच ,
असीमित बनाती है ,दुःख को ,असमानता को ,असफलता को ,
जन्म देती है --
विध्वंश को ,विकृति को /
यही तो कहा था ,उस महान देव-दूत ने ,
रास नहीं आई चेतना ,दिशा ,प्रेम , सेवा ,
चढ़ा दिया ,व्यक्ति को नहीं ,
विचार को ,
शूली पर /
जो बिखर तो गया ,
पर दिलों में /
अमर हो गया ,----
स्वीकृति देनी होगी ,
हमको आपको ,सबको ,
संकीर्णता से
ऊपर उठ
कर सुविचारों को ----
उदय वीर सिंह
२२/०४/२०११
13 टिप्पणियां:
वे न केवल करोड़ों क्रिश्चियंस के श्रद्धा पात्र हैं अपितु मानव समाज की सही सोंच के लिए एक सम्पूर्ण पाठ है ! शायद हम अब तक कोई सबक नहीं ले पाए !
हार्दिक शुभकामनायें !!
ईसा मसीह को श्रधांजलि एवं शत शत नमन ...
आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (23.04.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
चर्चाकार:-Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
स्वीकृति देनी होगी ,
हमको आपको ,सबको ,
संकीर्णता से
ऊपर उठ
कर सुविचारों को ----
बहुत सुन्दर काव्यांजलि....
हार्दिक शुभकामनायें !
आपकी अनुपम भावभीनी प्रस्तुति के लिए दिल से आभार.आप मेरे ब्लॉग पर आये इसके लिए भी आपका शुक्रिया.
wonderful, beautiful and inspiring presentation.
बढ़िया प्रस्तुति!
स्वीकृति देनी होगी ,
हमको आपको ,सबको ,
संकीर्णता से
ऊपर उठ
कर सुविचारों को ----
bilkul
Insaan aur vishisht insaanon ki pahchaan unke jaane ke baad hoti hai jab vo prabhu ke ansh mein vileen ho jaate hain ...
ईसा मसीह को श्रधांजलि एवं शत शत नमन
bahut khubsurat rachna ek khubsurat sandesh deti hui
आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा ..अच्छा लिखते हैं आप .बहुत सुन्दर ...हार्दिक शुभकामनायें
बहुत सुंदर काव्य रचना ....ईसा मसीह को नमन
शत शत नमन
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
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