दुआओं में मेरी शराफत नहीं है ,
खुदा जाने कैसे , कबूला उसे है ---
माँगा जिसे मैंने , कांटे ही कांटे
अंधेरों मे मैं हूँ , उजाला उसे है ----
नियत मेरी हरदम ,खोटी रही है
जरुरत मुझे है , निवाला उसे है ---
शहर-ए-खामोशा भी,मयस्सर न होवे ,
पड़ा खाक में मै , शिवाला उसे है ----
रुखसत ख़ुशी हो ,ढेर दुश्वारियां हों
पतझड़ हमेशा हो आगोशे गुलशन
मयस्सर न हो एक कतरा भी पानी ,
देखो अमृत गंगा , की धारा उसे है -----
बिना इल्म का, इल्म्दां बन गया था ,
इल्म -ए - मुहब्बत का प्याला उसे है----
आवाज आई न मुनासिब है जलना ,
सबाबों का तेरे , बदला उसे है --- --
उदय वीर सिंह
१२/०४/२०११
नियत मेरी हरदम ,खोटी रही है
जरुरत मुझे है , निवाला उसे है ---
शहर-ए-खामोशा भी,मयस्सर न होवे ,
पड़ा खाक में मै , शिवाला उसे है ----
रुखसत ख़ुशी हो ,ढेर दुश्वारियां हों
पतझड़ हमेशा हो आगोशे गुलशन
मयस्सर न हो एक कतरा भी पानी ,
देखो अमृत गंगा , की धारा उसे है -----
बिना इल्म का, इल्म्दां बन गया था ,
इल्म -ए - मुहब्बत का प्याला उसे है----
आवाज आई न मुनासिब है जलना ,
सबाबों का तेरे , बदला उसे है --- --
उदय वीर सिंह
१२/०४/२०११
5 टिप्पणियां:
मयस्सर न हो एक कतरा भी पानी ,
देखो अमृत गंगा , की धारा उसे है
खुबसूरत शेर , मुबारक हो
आवाज आई न मुनासिब है जलना ,
सबाबों का तेरे , बदला उसे है -
बहुत खूब ...अच्छी गज़ल ..
बिना इल्म का, इल्म्दां बन गया था ,
इल्म -ए - मुहब्बत का प्याला उसे है----
आवाज आई न मुनासिब है जलना ,
सबाबों का तेरे , बदला उसे है -
waah waah waah !
Wonderfully expressed .
.
कमाल की ईमानदारी है इस सरल रचना में....सुबह सुबह पढ़ते ही आनंद आ गया ! हार्दिक आभारी हूँ आपका भाई जी !
बहुत खूब ...अच्छी गज़ल ..
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