प्यासे मन की जलन ,दग्ध यौवन का वन ,
कोई सावन बुझाये तो , आभार होगा ---
दर्द का प्रेम से कोई अनुबंध होगा ,
नयन-आंशुओं में कोई सम्बन्ध होगा .--
मश्तिष्क यादों का संसार साजे,
टूट जाता हृदय कोई आलम्ब होगा --
रोक लेना पलक ,बह न जाये छलक ,
कैद हो उम्र -भर की तो ,आभार होगा -----
सूरज से सबनम, क्या पायेगी छाया ,
चांदनी से अमावस का रिश्ता कहाँ है --
टूटी सांसों को स्वर कभी शमशान देता ,
उड़ते मेघों को घर ,कभी मिलता कहाँ है --
प्यासे लबों को ,ग़मज़दा उल्फतों को ,
उम्मीदों से, जोड़ो तो आभार होगा ---
मौजों से साहिल ,ने कितना निभाया ,
ठोकर लगाता पनाहों में लेकर --
परिंदों को आकाश देकर ऊँचाई ,
धरातल दिखाता है , बाँहों में लेकर --
उलझी लटों को , बे-तरह सिलवटों को ,
सलीका आ जाये ,तो आभार होगा -----
वतन ,बे-वतन को, चमन हर गुलों को ,
कफ़न,बे-कफ़न को ,ख़ुशी हर सितम को --
मौत मांगी मुझे , लूट मेरा दीवाना ,
हो जज्बात इतना , भूल जाएँ हर गम को --
आंधियां अंजुमन में , दे पनाहे चिरागां ,
उदय राहे- रोशन तो आभार होगा ---
उदय वीर सिंह
०८/०५/२०११
उड़ते मेघों को घर ,कभी मिलता कहाँ है --
प्यासे लबों को ,ग़मज़दा उल्फतों को ,
उम्मीदों से, जोड़ो तो आभार होगा ---
मौजों से साहिल ,ने कितना निभाया ,
ठोकर लगाता पनाहों में लेकर --
परिंदों को आकाश देकर ऊँचाई ,
धरातल दिखाता है , बाँहों में लेकर --
उलझी लटों को , बे-तरह सिलवटों को ,
सलीका आ जाये ,तो आभार होगा -----
वतन ,बे-वतन को, चमन हर गुलों को ,
कफ़न,बे-कफ़न को ,ख़ुशी हर सितम को --
मौत मांगी मुझे , लूट मेरा दीवाना ,
हो जज्बात इतना , भूल जाएँ हर गम को --
आंधियां अंजुमन में , दे पनाहे चिरागां ,
उदय राहे- रोशन तो आभार होगा ---
उदय वीर सिंह
०८/०५/२०११
21 टिप्पणियां:
बेहतरीन रचना।
वतन ,बे-वतन को, चमन हर गुलों को ,
कफ़न,बे-कफ़न को ,ख़ुशी हर सितम को --
मौत मांगी मुझे , लूट मेरा दीवाना ,
हो जज्बात इतना , भूल जाएँ हर गम को --
कमाल कर देतें है उदय जी
बेमिशाल लिख कर.
जज्बातों का तूफान उठा देते हों
दिल में हडकंप मचा देते हों
आपको सादर नमन.
यह रचना टिपण्णी के लिए नहीं है बस अहसास करने की जरुरत है , आपकी लेखनी को नमन और आपको बधाई ......
बहुत खूब .. लाजवाब शब्दों से सजाया है इस रचना को ...
कैद हो उम्र भर की तो आभार होगा ...बहुत बढ़िया ..
मौजों से साहिल ,ने कितना निभाया ,
ठोकर लगाता पनाहों में लेकर --
परिंदों को आकाश देकर ऊँचाई ,
धरातल दिखता है ,बाँहों में लेकर --
bahut badhiyaa
बेहतरीन रचना है ये तो
मन के भा्वों की सुन्दर अभिव्यक्ति है
वतन ,बे-वतन को, चमन हर गुलों को ,
कफ़न,बे-कफ़न को ,ख़ुशी हर सितम को --
मौत मांगी मुझे , लूट मेरा दीवाना ,
हो जज्बात इतना , भूल जाएँ हर गम को --
खूब कहा आपने .....बहुत भावपूर्ण .......
बहुत उम्दा और भावप्रणव रचना!
प्यासे लबों को ,ग़मज़दा उल्फतों को ,
उम्मीदों से, जोड़ो तो आभार होगा -
उदय जी बहुत ही सुंदर गीत सुंदर भावनाओं से सुसज्जित. लाजवाब शब्द संयोजन. बधाई.
बहुत सुंदर और सार्थक रचना भाई उदय जी बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं |कभी -कभी सिक्ख पंथ के महान गुरुओं के बारे में भी कुछ लिख दिया करें नयी पीढ़ी को जानने समझने का सुअवसर मिलेगा |
सुन्दर भाव हैं।
इस रचना को लाजवाब शब्दों से सजाया है ...बहुत खूब ..
प्यासे मन की जलन ,दग्ध यौवन का वन ,
कोई सावन बुझाये तो , आभार होगा
बहुत खूब भाई जी ! शुभकामनायें !!
आदरणीय सरदार जी...बहुत ही सुन्दर कविता...मन के विचारों की अद्भुत अभिव्यक्ति...
साधुवाद...
वाह ....बहुत ही अच्छा लिखा ।
बहुत खूबसूरत गीत.
रोक लेना पलक ,बह न जाये छलक ,
कैद हो उम्र -भर की तो ,आभार होगा -----
गहरे अहसासों को शब्दों में किस खूबसूरती से पिरोया है..हरेक पंक्ति मन को छू जाती है..लाज़वाब..आभार
मौजों से साहिल ,ने कितना निभाया ,
ठोकर लगाता पनाहों में लेकर --
परिंदों को आकाश देकर ऊँचाई ,
धरातल दिखाता है , बाँहों में लेकर --
उदय जी , बहुत कम ही मिलती है इतनी खूबसूरत रचना पढने को। बेहतरीन शिल्प और भाव।
.
बेमिशाल रचना.
आपकी लेखनी और आपको बधाई, उदय जी
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