रविवार, 8 मई 2011

**आभार होगा **

प्यासे मन की जलन ,दग्ध यौवन का वन ,
कोई   सावन   बुझाये  तो , आभार   होगा ---

           दर्द  का  प्रेम से कोई अनुबंध  होगा ,
             नयन-आंशुओं में कोई सम्बन्ध होगा .--
               मश्तिष्क    यादों   का   संसार  साजे,
                 टूट  जाता  हृदय  कोई  आलम्ब  होगा --

रोक लेना पलक ,बह न जाये छलक ,
कैद हो उम्र -भर की तो ,आभार होगा -----

            सूरज से सबनम, क्या पायेगी  छाया ,
              चांदनी से अमावस  का रिश्ता  कहाँ है --
                टूटी सांसों को स्वर  कभी  शमशान देता ,
                  उड़ते मेघों को घर ,कभी मिलता  कहाँ  है --

प्यासे लबों को ,ग़मज़दा  उल्फतों को ,
उम्मीदों  से,  जोड़ो  तो आभार   होगा ---

             मौजों से साहिल ,ने कितना निभाया  ,
               ठोकर   लगाता   पनाहों    में     लेकर --
                 परिंदों   को   आकाश   देकर     ऊँचाई ,
                   धरातल    दिखाता   है , बाँहों  में  लेकर --

उलझी लटों को , बे-तरह  सिलवटों को ,
सलीका  आ जाये  ,तो  आभार    होगा -----

            वतन ,बे-वतन को, चमन  हर गुलों को ,
               कफ़न,बे-कफ़न को ,ख़ुशी हर सितम को --
                 मौत   मांगी   मुझे ,  लूट   मेरा   दीवाना ,
                    हो  जज्बात इतना , भूल जाएँ हर गम को --

आंधियां अंजुमन में , दे पनाहे  चिरागां  ,
उदय  राहे-  रोशन  तो  आभार    होगा ---

                                           उदय वीर सिंह
                                            ०८/०५/२०११






          

21 टिप्‍पणियां:

vandana gupta ने कहा…

बेहतरीन रचना।

Rakesh Kumar ने कहा…

वतन ,बे-वतन को, चमन हर गुलों को ,
कफ़न,बे-कफ़न को ,ख़ुशी हर सितम को --
मौत मांगी मुझे , लूट मेरा दीवाना ,
हो जज्बात इतना , भूल जाएँ हर गम को --


कमाल कर देतें है उदय जी

बेमिशाल लिख कर.

जज्बातों का तूफान उठा देते हों

दिल में हडकंप मचा देते हों

आपको सादर नमन.

Sunil Kumar ने कहा…

यह रचना टिपण्णी के लिए नहीं है बस अहसास करने की जरुरत है , आपकी लेखनी को नमन और आपको बधाई ......

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत खूब .. लाजवाब शब्दों से सजाया है इस रचना को ...

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

कैद हो उम्र भर की तो आभार होगा ...बहुत बढ़िया ..

रश्मि प्रभा... ने कहा…

मौजों से साहिल ,ने कितना निभाया ,
ठोकर लगाता पनाहों में लेकर --
परिंदों को आकाश देकर ऊँचाई ,
धरातल दिखता है ,बाँहों में लेकर --
bahut badhiyaa

SANDEEP PANWAR ने कहा…

बेहतरीन रचना है ये तो

Maheshwari kaneri ने कहा…

मन के भा्वों की सुन्दर अभिव्यक्ति है

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

वतन ,बे-वतन को, चमन हर गुलों को ,
कफ़न,बे-कफ़न को ,ख़ुशी हर सितम को --
मौत मांगी मुझे , लूट मेरा दीवाना ,
हो जज्बात इतना , भूल जाएँ हर गम को --

खूब कहा आपने .....बहुत भावपूर्ण .......

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत उम्दा और भावप्रणव रचना!

रचना दीक्षित ने कहा…

प्यासे लबों को ,ग़मज़दा उल्फतों को ,
उम्मीदों से, जोड़ो तो आभार होगा -

उदय जी बहुत ही सुंदर गीत सुंदर भावनाओं से सुसज्जित. लाजवाब शब्द संयोजन. बधाई.

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

बहुत सुंदर और सार्थक रचना भाई उदय जी बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं |कभी -कभी सिक्ख पंथ के महान गुरुओं के बारे में भी कुछ लिख दिया करें नयी पीढ़ी को जानने समझने का सुअवसर मिलेगा |

Smart Indian ने कहा…

सुन्दर भाव हैं।

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

इस रचना को लाजवाब शब्दों से सजाया है ...बहुत खूब ..

Satish Saxena ने कहा…

प्यासे मन की जलन ,दग्ध यौवन का वन ,
कोई सावन बुझाये तो , आभार होगा

बहुत खूब भाई जी ! शुभकामनायें !!

दिवस ने कहा…

आदरणीय सरदार जी...बहुत ही सुन्दर कविता...मन के विचारों की अद्भुत अभिव्यक्ति...
साधुवाद...

सदा ने कहा…

वाह ....बहुत ही अच्‍छा लिखा ।

shikha varshney ने कहा…

बहुत खूबसूरत गीत.

Kailash Sharma ने कहा…

रोक लेना पलक ,बह न जाये छलक ,
कैद हो उम्र -भर की तो ,आभार होगा -----

गहरे अहसासों को शब्दों में किस खूबसूरती से पिरोया है..हरेक पंक्ति मन को छू जाती है..लाज़वाब..आभार

ZEAL ने कहा…

मौजों से साहिल ,ने कितना निभाया ,
ठोकर लगाता पनाहों में लेकर --
परिंदों को आकाश देकर ऊँचाई ,
धरातल दिखाता है , बाँहों में लेकर --

उदय जी , बहुत कम ही मिलती है इतनी खूबसूरत रचना पढने को। बेहतरीन शिल्प और भाव।

.

Unknown ने कहा…

बेमिशाल रचना.
आपकी लेखनी और आपको बधाई, उदय जी