आसमान छोटा क्यूँ न हो
बुलंद हौसले उड़ चले ,
रास्ता दे ते सितारे पूछते ,
तेरी तासीर क्या है ----
तेरी तासीर क्या है ----
*
नीचे समुंदर की गहराईयाँ ,
उपर तूफान कायम ,
उपर तूफान कायम ,
चिराग रोसन रहा ,
दीदार -ए- साहिल का --
दीदार -ए- साहिल का --
*
हजरते -दाग बन जाये याद ,
जब कदम मुड़ने लगेपीछे ,
समझो ,न सम्हलने की
कसम खायी है ..
*
ख़ुशी का मोल क्या जानो ,
दौलत के पेश्बंदों ,
किसी गरीब से पूछो ,
बैठा है मुद्दत से इंतजार में ..
*
रकीब लिखता है ,तफसील से ,
बयाने -मुहब्बत ,
अंजाम का आगे ,
इंतजार क्या करना ---
*
बन जाये तकदीर ,
कोई फरेब कर लेना ...
*
सुमार कर दिया है ,
कातिल जमात में ....
*
शहंशाहों की शान में लिखते रहे,
फरेब, मुफलिसी ने पूछा एक दिन ,
गैरतमंद बनने की,
तेरी कीमत क्या है.....
*
आँखों में डूबने का स्वांग था ,
डूबा था साकी में वो ,
पैमाना खाली था ,
मयखाना बदल रहा था ....
*
नकाब में जाना हैरत नहीं हुयी ,
सलाम कर जाना ,
शायर बना दिया .........
*
सुनते रहे तमाम उम्र ,
न कह सके तौबा ,
एक लव्ज क्या निकला ,
यार- ए- रुखसत हो गए ...
*
इन्सान देखने की हसरत
अगर कभी हो ही जाये
दुआ है रब से,
मुराद पूरी करना ...
उदय वीर सिंह
जब कदम मुड़ने लगेपीछे ,
समझो ,न सम्हलने की
कसम खायी है ..
*
ख़ुशी का मोल क्या जानो ,
दौलत के पेश्बंदों ,
किसी गरीब से पूछो ,
बैठा है मुद्दत से इंतजार में ..
*
रकीब लिखता है ,तफसील से ,
बयाने -मुहब्बत ,
अंजाम का आगे ,
इंतजार क्या करना ---
*
बन जाये तकदीर ,
किसी तस्वीर की तरह ,
ओ मेरे मुसब्बीर !कोई फरेब कर लेना ...
*
मेरे हाथ में कलम को ,
खंजर समझ लिया ,सुमार कर दिया है ,
कातिल जमात में ....
*
शहंशाहों की शान में लिखते रहे,
फरेब, मुफलिसी ने पूछा एक दिन ,
गैरतमंद बनने की,
तेरी कीमत क्या है.....
*
आँखों में डूबने का स्वांग था ,
डूबा था साकी में वो ,
पैमाना खाली था ,
मयखाना बदल रहा था ....
*
नकाब में जाना हैरत नहीं हुयी ,
सलाम कर जाना ,
शायर बना दिया .........
*
सुनते रहे तमाम उम्र ,
न कह सके तौबा ,
एक लव्ज क्या निकला ,
यार- ए- रुखसत हो गए ...
*
इन्सान देखने की हसरत
अगर कभी हो ही जाये
दुआ है रब से,
मुराद पूरी करना ...
उदय वीर सिंह
11 टिप्पणियां:
आशावादी सोंच और हिम्मत को दाद बहुत सुंदर अभिव्यक्ति.......
मुफलिसी ने पूछा एक दिन ,
गैरतमंद बनने की,
तेरी कीमत क्या है.....
बहुत सुंदर!
विचारपूर्ण सुन्दर रचना...
:] उम्दा सोच और इज़हार हैं|
काफी जगह वर्तनी में सुधर की आवश्यकता है, मसलन: रोशन, शाहिल, तशवीर, हाँथ, लब्ज आदि|
आँखों में डूबने का स्वांग था ,
डूबा था साकी में वो ,
पैमाना खाली था ,
मयखाना बदल रहा था ....
वाह बहुत खूब ...अलग अंदाज़ है आज तो ..
उदय जी की अप्रतिम रचना हम तक पहुँचाने के लिए आपका कोटिश धन्यवाद...
नीरज
वीर जी आपकी अभिव्यक्ति कुछ हट कर है । प्रभावित करती है । कविताओं को पढ कर अच्छा लगा ।
सुनते रहे तमाम उम्र ,
न कह सके तौबा ,
एक लव्ज क्या निकला ,
यार- ए- रुखसत हो गए .
Beautiful expression !
Very nice Uday ji.
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आसमान छोटा क्यूँ न हो
बुलंद हौसले उड़ चले ,
रास्ता दे ते सितारे पूछते ,
तेरी तासीर क्या है ----
गहन जीवन दर्शन है आपकी इस रचना में....उदयवीर जी,इस सुन्दर रचना के लिए हार्दिक शुभकामनायें...
आँखों में डूबने का स्वांग था ,
डूबा था साकी में वो ,
पैमाना खाली था ,
मयखाना बदल रहा था
विचारपूर्ण सुन्दर रचना,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
आसमान छोटा क्यूँ न हो
बुलंद हौसले उड़ चले ,
रास्ता दे ते सितारे पूछते ,
तेरी तासीर क्या है ----
आशावादी सोच बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.....
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