गुरुवार, 16 जून 2011

विस्वास बनें

आस   बने   विस्वास   बनें ,
   बिगड़े न कभी वह बात बने ,
      प्रखरित होते   दिनकर  के  ,
         स्वर्णिम बेला का प्रभात बनें ---

मुस्कान     बिखरती  जाएगी ,
   फूलों की तरह , कलियों की तरह,
    गीत   मधुरतम  बिखरित    होगी ,
       लता  की तरह ,कोयल  की   तरह ---

       ताल बनें जीवन -लय  का ,
       मधुर   मनोरम  साज बनें --

कंटक -पथ भी सज जाते
   ले , कर  में  फूलों  की  माला ,
     तूफान , बदलते  पथ    अपना ,
       गिरिवर  की   देखी  जब   शाला ---

    संधान करें ,कर चयन लक्ष्य ,
     चुके न सर ,वो   कमान बनें --

हृदय    धड़कता    रहता    है ,
   कुछ कहता है अपनों  की तरह ,
    वरण  करो , हिय   नेह     लिए ,
      ये  जीवन  है  सपनों  की    तरह  --

     मान  बने , सम्मान   बनें ,
     अमृत रस की बरसात बनें --

संयोग - वियोग  तो  होते  हैं ,
  डाली की तरह ,फूलों की तरह ,
   टूट   गए   फिर   कहाँ     मिले ,
     आँखों कीतरह ,अश्कों की तरह --

     वैधव्य   नहीं  हो घूँघट  में ,
     माथे  की  वह  सौगात बनें ---

आँचल में संजोये ,स्नेह -निधि ,
   हर - लोक   बहे  , सागर    डूबे,
    संचय   इतना, बस  छलक मात्र ,
     अस्तित्व    वैर ,  का    डोल   उठे ,

     संस्कार बनें , सुविचार  बने,
     घट - अमृत  की   दात   बनें --

* चंचल नैन ,उदय  मन   भाए
    यादों     की    बारात     बनें --

                      उदय वीर सिंह .
                          १५/०६/०११
















11 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सुन्दर भाव से सजी सुन्दर रचना

ASHOK BAJAJ ने कहा…

आँचल में संजोये ,स्नेह -निधि ,
हर - लोक बहे , सागर डूबे,
संचय इतना, बस छलक मात्र ,
अस्तित्व वैर , का डोल उठे ,

संस्कार बनें , सुविचार बने,
घट - अमृत की दात बनें --

वाह भाई वाह , ज्ञानवर्धक कविता .

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....


कुछ चिट्ठे ...आपकी नज़र ..हाँ या ना ...? ?

prerna argal ने कहा…

bahut hi sunder shabdon main likhi bhavmai rachanaa.badhaai.



please visit my blog.thanks.

ZEAL ने कहा…

हृदय धड़कता रहता है ,
कुछ कहता है अपनों की तरह ,
वरण करो , हिय नेह लिए ,
ये जीवन है सपनों की तरह ..


बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति Uday जी।

Kailash Sharma ने कहा…

संधान करें ,कर चयन लक्ष्य ,
चुके न सर ,वो कमान बनें --

....सार्थक सन्देश देती बहुत प्रेरक ओजमयी प्रस्तुति..आभार

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

sundar geet.

Swarajya karun ने कहा…

@ "संयोग - वियोग तो होते हैं ,
डाली की तरह ,फूलों की तरह ,
टूट गए फिर कहाँ मिले ,
आँखों की तरह ,अश्कों की तरह!"
वाकई दिल को छू गयी आपकी ये पंक्तियाँ. आभार. मानवीय भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति के लिए बधाई .

Arunesh c dave ने कहा…

सुंदर लिखा है आपने मन प्रफ़ुल्लित हो गया

Dr.J.P.Tiwari ने कहा…

हृदय धड़कता रहता है ,
कुछ कहता है अपनों की तरह ,
वरण करो , हिय नेह लिए ,
ये जीवन है सपनों की तरह --

मान बने , सम्मान बनें ,
अमृत रस की बरसात बनें --

संयोग - वियोग तो होते हैं ,
डाली की तरह ,फूलों की तरह ,
टूट गए फिर कहाँ मिले ,
आँखों कीतरह ,अश्कों की तरह --

Too much lovely and impressive. Thanks for such type sensitive expression.

Maheshwari kaneri ने कहा…

हृदय धड़कता रहता है ,
कुछ कहता है अपनों की तरह ,
वरण करो , हिय नेह लिए ,
ये जीवन है सपनों की तरह ..सुन्दर भाव से सजी सुन्दर रचना