तेरा आना ख्यालों में अच्छा नहीं ,
भूल जाते हैं अक्सर , ज़माने के गम //
ओढ़ना चाहते , उम्र - भर के लिए ,
वफ़ा -ए - कफ़न की निगाहों हम //
मेरी मन्नत नहीं , उल्फतों का शहर ,
तेरे आने का रास्ता , मुकद्दर मेरा --
कुछ पलों ने दिया एक जनम का सफ़र ,
काट लेंगे तेरी यादों की , बाँहों में हम //
दौलत -ए - दर्द दिल से, छिपाने चले ,
कह गए आंसुओं की पनाहों में हम //
यूँ अँधेरे में छिपता नगीना कहाँ ,
देखना चाहते हैं , उजाले में हम //
ख़त्म होते नहीं रास्ते हम- सफ़र ,
प्रीत की राह देकर .क्यों रुखसत हुए ,
उदय तू बताओ , किधर जाएँ हम //
उदय वीर सिंह .
दौलत -ए - दर्द दिल से, छिपाने चले ,
कह गए आंसुओं की पनाहों में हम //
यूँ अँधेरे में छिपता नगीना कहाँ ,
देखना चाहते हैं , उजाले में हम //
ख़त्म होते नहीं रास्ते हम- सफ़र ,
नजराना -ए - मंजिल भले बख्स दो ---
प्रीत की राह देकर .क्यों रुखसत हुए ,
उदय तू बताओ , किधर जाएँ हम //
उदय वीर सिंह .
8 टिप्पणियां:
bahut hi accha likha hai aapne.. badhai !
मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है : Blind Devotion - सम्पूर्ण प्रेम...(Complete Love)
दौलत -ए - दर्द दिल से, छिपाने चले ,
कह गए आंसुओं की पनाहों में हम
यूँ अँधेरे में छिपता नगीना कहाँ ,
देखना चाहते हैं , उजाले में हम
खूबसूरत एवं मर्मस्पर्शी गज़ल ....
बहुत बहुत बधाई .
बहुत खूब गज़ल कही है ..
तेरा आना ख्यालों में अच्छा नहीं भूल जाते हैं अक्सर , ज़माने के गम !
शुभ प्रभात भाई जी !
आपकी यह खूबसूरत लाइनें पढ़कर अपने एक बहुत पुराने मित्र की याद आ गयी ! आभार आपका !
उदय वीर जी, बहुत सुंदर लिखा है आपने.. एक एक मिसरा काबिले तारीफ है.. फिर भी यह खास तौर पर पसंद आया.
यूँ अँधेरे में छिपता नगीना कहाँ , देखना चाहते हैं , उजाले में हम //
बहुत सुन्दर गज़ल्।
किवता बहुत अच्छी है!
भावप्रणव है,
इसको ग़ज़ल नहीं कहा जा सकता है!
क्योंकि मतले का शेर नहीं है
और बीच में दो शेर ग़ज़ल से अलग लगते हैं!
बहुत सुंदर, क्या बात है
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