अपनों के रूप में , वैरियों के वंश हैं ,
इनके स्वरुप को सहेज लीजिये--
स्नेह ,सद्भाव को विवशता न मानिये ,
आतंक , देशद्रोह में मत ,भेद कीजिये---
हृदय लहूलुहान हुआ दुश्मनों के दंश हैं
पीर बेहिसाब नैन , दहके अंगार सा
दर्द ,गोलियों से कम ,ज्यादा हुआ घात से ,
याचकों की आड़ में , बर्ताव गद्दार सा --
तलाश ! उन चक्षुओं को ,जिसने उठाई हो ,
देकर अंधकार , निस्तेज कीजिये --
संगीनों के साये विच ,जिंदगी उधार हुयी ,
आस्तीन का संपोला, कब डंक मर जायेगा
भरते हैं अंक , जिसे अपना विचार कर ,
छिपाया लिए खंजर ,कब पार कर जायेगा --
दरिंदगी के शाह, इन्शानियत न खून में,
प्रतिवद्धता है किससे ये देख लीजिये --
शौर्य ,बलिदान ,आत्मज्ञान से ये उपवन ,
कीड़े , रेंग जाते हैं उपचार कर लीजिये ,
स्वर्ग से सुन्दर हमारी मातृभूमि है ,
पग राक्षसों के पड़े तो संघार कर दीजिये ---
तैमूर ,गोरी ,गजनी की आस हैं संजोये जो ,
नापाक औलाद उनके पास भेज दीजिये --
कब तक जलेगी दिल्ली ,मुम्बई गुजरात यू पी .
अपने ही घर में सुकून मांगते हैं ,
कितने लाचार , आज अपने वजूद को
ज्ञान के पुरोधा , मजमून मांगते हैं --
विकृत स्वरुप हो ,इसके पहले ही जाग जा ,
उठाओ ! गांडीव , मत देर कीजिये ----
उदय वीर सिंह
१६/०७/२०११
17 टिप्पणियां:
वाह-वाह!
कवित्त पढ़कर तो आनन्द आ गया!
कब तक जलेगी दिल्ली ,मुम्बई गुजरात यु. पी .
अपने ही घर में सकून मांगते हैं ,
कितने लाचार , आज अपने वजूद को
ज्ञान के पुरोधा,मजमून मांगते हैं --
विकृत स्वरुप हो ,इसके पहले ही जाग जा ,
उठाओ! गांडीव ,मत देर कीजिये ----
वर्तमान दशा का सटीक आकलन.... यही कामना है कि आपकी आशा पुष्पित-पल्लवित हो....
ये तो घनाक्षरी छंद ही है न ||
सुन्दर प्रण--
सुन्दर प्रयाण ||
बधाई भाई जी ||
हर-हर बम-बम, बम-बम धम-धम |
तड-पत हम-हम, हर पल नम-नम ||
अक्सर गम-गम, थम-थम, अब थम |
शठ-शम शठ-शम, व्यर्थम - व्यर्थम ||
दम-ख़म, बम-बम, चट-पट हट तम |
तन तन हर-दम *समदन सम-सम || *युद्ध
*करवर पर हम, समरथ सक्षम | *विपत्ति
अनरथ कर कम, झट-पट भर दम ||
भकभक जल यम, मरदन मरहम |
हर-हर बम-बम, हर-हर बम-बम ||
राहुल उवाच : कई देशों में तो, बम विस्फोट दिनचर्या में शामिल है |
चिदंबरम उवाच: इक्तीस माह तो बचाया मुंबई को |
देश को कब तक बचाओगे ????
यह हिंदी ब्लॉग किधर था |
पहले तो देखा नहीं |
सुंदर छंदबद्ध,प्रवाहमयी रचना से ओज का संगीत निकल पड़ा है.
विकृत स्वरुप हो ,इसके पहले ही जाग जा ,
उठाओ ! गांडीव , मत देर कीजिये ----
ओजपूर्ण आह्वान...सबको तैयार हो जाना चाहिए इस सुकृत के लिए...धन्यवाद
कब तक जलेगी दिल्ली ,मुम्बई गुजरात यू पी .
अपने ही घर में सुकून मांगते हैं ,
कितने लाचार , आज अपने वजूद को
ज्ञान के पुरोधा , मजमून मांगते हैं --
बहुत ओजपूर्ण शब्दों से सशक्त विचारों की अभिव्यक्ति..सुन्दर..आभार
दर्द ,गोलियों से कम ,ज्यादा हुआ घात से ,
याचकों की आड़ में , बर्ताव गद्दार सा
आपकी तकलीफ जायज़ है और महसूस होती है ! शुभकामनायें भाई जी !!
बहुत सुन्दर रचना...महोदय आपकी यह उत्कृष्ट रचना दिनांक 19-07-2011 को मंगलवारीय चर्चा में चार्चा मंच http://charchamanch.blogspot.com/ पर भी होगी कृपया आप चार्चा मंच पर पधार कर अपने सुझावों से अवगत कराएं
हृदय लहूलुहान हुआ दुश्मनों के दंश हैं
पीर बेहिसाब नैन , दहके अंगार सा
दर्द ,गोलियों से कम ,ज्यादा हुआ घात से ,
याचकों की आड़ में , बर्ताव गद्दार सा --
....बहुत सशक्त और सटीक प्रस्तुति..आभार
आपकी दर्द और वेदना जायज है,बहुत ही मार्मिक और भावुक कर देने वाली रचना!शुभकामनायें!
दहकती उनकी चिता सजाकर,
कब तक भोजन पकाओगे?
वहाँ उजाड़ गए कितने परिवार,
तुम तो बैठ मालपुवा खाओगे.
यह देश है क्या लावारिश?
या है इसका कोई भी वारिश.
जब लड़ने की ताकत बची नहीं,
तलाशेगा देश अब अपना वारिश.
यह धमाका, देश पर तमाचा है,
यह उस बिरयानी की कीमत है -
जिसे कसाब - अफजल जैसों को.
वर्षों से तुम खिला रहे हो.........
अपने देशवासियों को कबतक ..
लों की ज्वाला में झुलसाओगे?
यह तोहफा था जन्म दिन का,
कब तक इसको फोड़वाओगे ?
शौर्य ,बलिदान ,आत्मज्ञान से ये उपवन ,
कीड़े , रेंग जाते हैं उपचार कर लीजिये ,
स्वर्ग से सुन्दर हमारी मातृभूमि है ,
पग राक्षसों के पड़े तो संघार कर दीजिये ---
yathart batati hui saarthak rachanaa.dil ko choo gai.badhaai aapko.
please visit my blog.thanks.
एक आनंदमयी धारा मे बह चला
सुंदर छंदबद्ध,प्रवाहमयी रचना से ओज का संगीत निकल पड़ा है.
लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/
आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें.
अगर आपको love everbody का यह प्रयास पसंद आया हो, तो कृपया फॉलोअर बन कर हमारा उत्साह अवश्य बढ़ाएँ।
वाह ...बहुत ही बढि़या ...।
शौर्य ,बलिदान ,आत्मज्ञान से ये उपवन ,
कीड़े , रेंग जाते हैं उपचार कर लीजिये ,
स्वर्ग से सुन्दर हमारी मातृभूमि है ,
पग राक्षसों के पड़े तो संघार कर दीजिये ---
बहुत सुंदर...
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