सोमवार, 8 अगस्त 2011

मानदंड

कितने ऊँचे  मापदंड 
क्या कहते हैं मानदंड ,
विस्तृत ,उपजाऊ भू भाग - भूखा भारत ,
शिक्षा ,ज्ञान  का वाहक -४३% साक्षरता ,
साहित्य ,कला ,विज्ञानं -प्रभावहीन ,
कृषि,अर्थ ,व्यवसाय --आत्महत्या की ओर,
    केंद्रीय -मंत्री का बयान----
"योग्यता की कमी से जूझते शिक्षण- संस्थान "
विश्वविद्यालयों का मान इतना -
टॉप -३० में भी नहीं स्थान ,
पूज्यपाद होने की स्थिति में -
आई.आई टी . आई .आई ऍम . आयुर्विज्ञान ,
परिणाम -
मजबूर आयात करने को तकनीक ,प्रद्योगिकी 
६५% आबादी को  झोपड़ -पट्टी  या खुला आसमान ,
* जौ,ग्वार  बाजरा  ,सांवा,देखा नहीं 
करता है प्रबंधन 
तय करता है दाम !
८५% आबादी ,ख़राब स्वास्थ की चपेट में ,
पैसे पर तौलतीं डिग्रियां ,
अब तौलते ,रोगी व रोग को ,
कितना चमका,और कितना चमकेगा ये देश ,
उच्च  शिक्षा ,इलाज को ,
आज भी जा रहे विदेश ..../
तथा- कथित निति नियामकों !
कब तक रहोगे रहस्य के आवरण में ,
* योग्यता के नाम का छल 
टिकाऊं   नहीं ,
नंगा हो गया ,
भारत. सोमालिया हो गया !
अँधेरे -उजाले का फर्क ,
अमीरी -गरीबी का दर्द ,
भगत सिंह -जयचंद का तर्क ,
समझना होगा ....
समान अवसर ,समान शिक्षा ,
समभाव वांछित ...
पथ- प्रशस्त करना होगा ,
प्राइवेट ,लिमिटेड कंपनी नहीं भारत ,
मंदिर है भारतीयों का ,
सर्वोच्च, वलिदान 
आत्मोत्सर्ग का 
इतिहास ,
मानदंड है
 इसका .....
          
              उदय वीर सिंह .




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