मंगलवार, 30 अगस्त 2011

सेडान

[प्रिय  सुधि जनों ,मित्रों ,मैंने सेडान [ एक  बेसकिमती   कार  ]से   विकास  की   आस  जोड़ी है  ,एक आई  सड़क  बनी..,दूजी से....तीजी  से...सारी सुविधाएँ शायद मिलेंगी ,क्यों की   वह  देवी स्वरूपा है ,साहब  की ख़ुशी  में  सबकी  ख़ुशी निहित  है ../  यह  काव्य  अंश  किसी  से निजी   कोई  सरोकार  या पूर्वाग्रह  , विद्वेष  नहीं   रखता  ... माफ़ी  चाहेंगे अगर किसी को  ठेस   लगती  हो ....]

***
हमारे गाँव भी  एक सेडान आई  है   ,
यम यल ए. साहब  ने  मंगवाई  है   /
परियों  सी  दुर्लभ  ,
फूलों  सी  सुंदर ,
बदन  आईना   है  ,
दिखाती  है  सूरत ,
अपनी और  .देखने  वालों  की    /
ये   गंदे  हाथ ,
कहाँ   वो  ताज
सहम  जाते  हैं  देख  ,
छूने  चले  थे  .....
दूर   से  देख बुझ   गयी  प्यास   ....../
कहते  हैं साहब  ,
प्रेमियों  कर  लो   दर्शन  ,
लक्ष्मी  है .....दो  करोड़  की  ,
आशीष  देना  ,
सलामती   की.......
सतवचन  ......,
शहर  से गाँव   तक  ,
प्रारंभ  हो  गया  है
सड़क  निर्माण ......
मखमली  , मखमली   के  लिए .../
खाप में  कल   चर्चा  / दुआ  की गयी...
 साहब को !
बहुत   सारी सेडान मिलें     /
पीछे  मिल  जायेगे  , हम  सबको  ,
पीने   का  साफ  पानी  ,विजली ,  शिक्षा  ,
रोजगार और  रोटी . ......./
बरक्कत  देने  वाली  है .,
अपनी  मज़बूरी  है ,
उनको  सेडान
जरुरी  है   ........../


                                    उदय  वीर   सिंह .
                                     २९/०८/2011


  

12 टिप्‍पणियां:

Satish Saxena ने कहा…

सही बात है भाई जी....
शुभकामनायें !

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सही समय पर बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति दी हैं आपने।
आज चाँद निकलेगा, कल ईद मनाई जाएगी।
आपको ईद की बहुत-बहुत मुबारकवाद।

amrendra "amar" ने कहा…

Karara Vyangya , bahut umda ...........

vandana gupta ने कहा…

बेहतरीन कटाक्ष्।

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सुन्दर और सटीक व्यंग...

नीरज गोस्वामी ने कहा…

Waah...bejod rachna hai aapki...iske piichhe chhipa vyang dhaardaar hai...

Kunwar Kusumesh ने कहा…

जैसे ही आसमान पे देखा हिलाले-ईद.
दुनिया ख़ुशी से झूम उठी है,मना ले ईद.
ईद मुबारक
कुँवर कुसुमेश

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

भाई उदय जी सत श्री अकाल बहुत सुंदर पोस्ट व्यंग्य शैली में लिखी उत्कृष्ट कविता बधाई

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

भाई उदय जी सत श्री अकाल बहुत सुंदर पोस्ट व्यंग्य शैली में लिखी उत्कृष्ट कविता बधाई

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

बहुत ख़ूब!!!

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

गहरा कटाक्ष....
आपकी धारदार लेखनी को सलाम....

Shabad shabad ने कहा…

उदय जी,
सत श्री अकाल !
बहुत सुन्दर और सटीक व्यंग...

बधाई !