आग जलती न देखा उठता धुआं
जल गयी सल्तनत देखते देखते -
आगमन कब हुआ ,कब गमन हो गया ,
अश्क सूखे नयन देखते देखते
उम्र इतनी प्रतीक्षा की होती कहाँ ,
उम्र बीती डगर देखते देखते -
मौजें सागर में उठने को बेताब थीं ,
फ़ना हो गयीं देखते देखते -
क्या है दरिया वो कश्ती समझते अभी ,
भंवर आ गयी देखते - देखते -
घर मुहब्बत के दामन में तामीर हो ,
त्रासदी, बन गयी देखते - देखते -
उदय वीर सिंह .
जल गयी सल्तनत देखते देखते -
आगमन कब हुआ ,कब गमन हो गया ,
अश्क सूखे नयन देखते देखते
उम्र इतनी प्रतीक्षा की होती कहाँ ,
उम्र बीती डगर देखते देखते -
मौजें सागर में उठने को बेताब थीं ,
फ़ना हो गयीं देखते देखते -
क्या है दरिया वो कश्ती समझते अभी ,
भंवर आ गयी देखते - देखते -
घर मुहब्बत के दामन में तामीर हो ,
त्रासदी, बन गयी देखते - देखते -
उदय वीर सिंह .
3 टिप्पणियां:
मौजें सागर में उठने को बेताब थीं ,
फ़ना हो गयीं देखते देखते -
देखते देखते कितना कुछ हो जाता है...!
सुन्दर प्रस्तुति ||
http://terahsatrah.blogspot.com
bahut hi behatareen nazm..........
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