बुधवार, 7 दिसंबर 2011

प्रसाद

           मन के अवसाद तिरोहित हों ,
           जग सुन्दर है ,रचना  करना -

हिय में जब पीर  हिलोर  उठे,
 करुना के भाव निखर  आयें,
प्रयास  ही शुभ का साधन हो ,
उर   से    विद्वेष   उतर   जाएँ -

             दया के भाव ,तन शीतल हों ,
             अमिय ,प्रेम   वर्षा    करना-

तरुअर पात कुसुम   सी कोमल,
स्निग्ध, चपल ,लचके   करुणा  ,
प्रीत  की  गांठ   , समभाव  बंधे ,
अंक ,  छिपे  तो  छिपे    करुणा-


               पावन  मन ,पावक  न बने ,
               पावस    की  इच्छा  करना -


दृग -दृष्टि उज्जवल सृजन  लिए ,
कर,उत्कृष्ट निर्माण का अस्त्र बने ,
मानवता   का  दर्शन आधार बने
नग्न , अशांति   का   वस्त्र    बने-

               गंगा  सा निर्मल पावन बन
               तन-मन-हृदय  बहते रहना -

विप्लव ,विक्षोभ ,विलोप  करो ,
सतत   नहीं   ज्वाला    कायम ,
क्षण भर का क्रोध ,दिया करता ,
अभिशप्त ,जीवन ,विरह गायन -


                ये जीवन खुशियों की हाला है ,
                 दर्द    सदा     पिया    करना -

                                       उदय वीर सिंह .




  

13 टिप्‍पणियां:

रविकर ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति ||
बधाई महोदय ||

Rajesh Kumari ने कहा…

atiuttam,bahut khoobsurat rachna.

Anupama Tripathi ने कहा…

पावन मन ,पावक न बने ,
पावस की इच्छा करना -

वाह बहुत सुंदर रचना और बहुत खूबसूरत शब्दों का चयन ...!!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

विप्लव ,विक्षोभ ,विलोप करो ,
सतत नहीं ज्वाला कायम ,
क्षण भर का क्रोध ,दिया करता ,
अभिशप्त ,जीवन ,विरह गायन -

सुन्दर शब्द संयोजन और सार्थक भाव लिए लाजवाब अभिव्यक्ति है ....

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत सुन्दर भाव से रची सुन्दर रचना

Rakesh Kumar ने कहा…

सुन्दर ...सुन्दर... अति सुन्दर.

आपकी पावन लेखनी को नमन.

शब्द और भाव अति सुन्दर और अनुपम हैं.

मेरे ब्लॉग पर आपने आकर मुझे कृतार्थ
किया उदय जी.

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रविष्टि...बधाई

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

शिखरों से निकल निकल बस सृजन बहे।

Rakesh Kumar ने कहा…

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति है आपकी.
संगीता जी की हलचल में सजी यह बहुत अच्छी लगी.
बहुत बहुत आभार,उदय जी.

सदा ने कहा…

वाह ...बहुत बढि़या।

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बहुत ही बढ़िया।

सादर

Sadhana Vaid ने कहा…

अत्यंत निर्मल, निष्कलुष, पावन कामना है आपकी और यह शीघ्र ही फलीभूत हो यही प्रार्थना है ! सुन्दर शब्दों एवं अनमोल भावनाओं से सजी यह प्रस्तुति बहुत अच्छी लगी ! आभार आपका !

अनुपमा पाठक ने कहा…

'ये जीवन खुशियों की हाला है ,
दर्द सदा पिया करना -'
पावन गीत!