जलाकर भावनाओं की आग
कभी रोटी नहीं बनती-
बेकार है सल्तनत ,तख्तो-ताज
प्यार बिन जोड़ी नहीं बनती -
धृतराष्ट्र का अंधापन सदा ,
महाभारत को जमीन देता है ,
जब गांधारी भी अंधी बन चले
दुर्योधन का स्वप्न हसीन होता है ,
नजर-ए-आवाम न बांध पट्टियाँ,
जम्हूरियत हीरा है कौड़ी नहीं होती-
अफसोश उनकी मांग में सिंदूर
तेरी मांग में कोरी सियासत है -
गिला है अफसर - कर्मियों से तुम्हें
दलालों ,मुनाफाखोरों को हिफाजत है-
ओ मिलों ,मलमल के ब्रांड अम्बेसडर
कपास के बिन धोती नहीं बनती --
सेवक के चोले में चोर, पुलिस पीछे ,
अब महा -चोर, आगे - पीछे है पुलिस-
कल अकेला था ,अब कानून संग
कल तलाश में,आज सत्कार में पुलिस-
लेकर सुरक्षा, तोड़ता है ,हर कानून
सामर्थ्यवान के लिए बेडी नहीं बनती -
उदय वीर सिंह
धृतराष्ट्र का अंधापन सदा ,
महाभारत को जमीन देता है ,
जब गांधारी भी अंधी बन चले
दुर्योधन का स्वप्न हसीन होता है ,
नजर-ए-आवाम न बांध पट्टियाँ,
जम्हूरियत हीरा है कौड़ी नहीं होती-
अफसोश उनकी मांग में सिंदूर
तेरी मांग में कोरी सियासत है -
गिला है अफसर - कर्मियों से तुम्हें
दलालों ,मुनाफाखोरों को हिफाजत है-
ओ मिलों ,मलमल के ब्रांड अम्बेसडर
कपास के बिन धोती नहीं बनती --
सेवक के चोले में चोर, पुलिस पीछे ,
अब महा -चोर, आगे - पीछे है पुलिस-
कल अकेला था ,अब कानून संग
कल तलाश में,आज सत्कार में पुलिस-
लेकर सुरक्षा, तोड़ता है ,हर कानून
सामर्थ्यवान के लिए बेडी नहीं बनती -
उदय वीर सिंह
9 टिप्पणियां:
bahut sundar atiuttam.
सार्थक चिंतन
शासक का शासन अनुशासन।
गहन विचारो से लिखी गई सार्थक अभिव्यक्ति
आपकी इस सुन्दर प्रस्तुति पर हमारी बधाई ||
terahsatrah.blogspot.com
gahan vicharo ka sarthak abhipraaye.....
बहुत सुन्दर प्रस्तुति । मेरे मए पोस्ट नकेनवाद पर आप सादर आमंत्रित हैं । धन्यवाद |
सुंदर रचना, सामाजिक सरोकार रखती ये रचना, एक आम आदमी की ज़रूरतों को प्रस्तुत करती है.
आभार
अच्छी कविता भाई उदय जी |सत् श्री अकाल |
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