सावन आना खुले ह्रदय ,
खुला हृदय मिल जायेगा
अंक भरेगी स्नेह वल्लरी ,
बुझा दीप जल जायेगा --
तपते अंग , झुलसती वसुधा ,
अग्नि -वलय सी पवन चली ,
तन जलता दिनकर की ज्वाला ,
मन जलता प्रीतम की गली --
अमृत बूंद बन ,झर -झर झरना ,
प्यासा मन खिल जायेगा --
धुल जाये मेंहंदी का छोपन ,
हांथों में गुलशन होगा ,
अचला की शुभ ,पुष्प लताएँ .
सौन्दर्य लिए करतल होगा --
हिय , सुगंध ,सरस लहरी संग ,
गीत मिलन के गायेगा --
झूले कभी उदासे न हों ,
भरें पिंग अम्बर की ओर,
प्रिय प्रियतम संग ,सखा ,सहोदर ,
कजरी का रंग चढ़े अमोल --
धानी चुनर की ओट, बहा स्वर ,
प्रणय गीत बन जायेगा --
तपते अंग , झुलसती वसुधा ,
अग्नि -वलय सी पवन चली ,
तन जलता दिनकर की ज्वाला ,
मन जलता प्रीतम की गली --
अमृत बूंद बन ,झर -झर झरना ,
प्यासा मन खिल जायेगा --
धुल जाये मेंहंदी का छोपन ,
हांथों में गुलशन होगा ,
अचला की शुभ ,पुष्प लताएँ .
सौन्दर्य लिए करतल होगा --
हिय , सुगंध ,सरस लहरी संग ,
गीत मिलन के गायेगा --
झूले कभी उदासे न हों ,
भरें पिंग अम्बर की ओर,
प्रिय प्रियतम संग ,सखा ,सहोदर ,
कजरी का रंग चढ़े अमोल --
धानी चुनर की ओट, बहा स्वर ,
प्रणय गीत बन जायेगा --
पड़े फुहार गालों पर जैसे ,
रत्न सजे खुशियों के पात,
आभा ले माणिक - मोती से ,
अप्रतिम सौन्दर्य दे परियों को मात--
सावन संग -प्रीतम -संग गोरी ,
कोई रूठे चल जायेगा --
देना नेह ,पीर हर लेना ,
अंक मिले प्रीतम की प्रीत ,
टिप -टिप बूंदे सावन बरसे ,
मन भीगे कैसी ये रीत--
मन ,मयूर ,मीन,मधु ,मोहन ,
सावन संग , रल जायेगा --
बहु - प्रतीक्षित , पंथ निहारें,
सावन ,साजन , कब आएगा --
नेह की डोर बंधेगें झूले ,
हर पात संगीत सुनाएगा --
उदय वीर सिंह .
२९/०7/२०११
देना नेह ,पीर हर लेना ,
अंक मिले प्रीतम की प्रीत ,
टिप -टिप बूंदे सावन बरसे ,
मन भीगे कैसी ये रीत--
मन ,मयूर ,मीन,मधु ,मोहन ,
सावन संग , रल जायेगा --
बहु - प्रतीक्षित , पंथ निहारें,
सावन ,साजन , कब आएगा --
नेह की डोर बंधेगें झूले ,
हर पात संगीत सुनाएगा --
उदय वीर सिंह .
२९/०7/२०११