वाहो !,वाहो ! गोबिंद सिंह जी, आपे गुरु चेला
पावन गुरु -पर्व पर समस्त देश- विदेश वासियों को लख-लख वधाईयां ,प्यार ,शुभकामनायें ,मीरी[शक्ति ] और पीरी[ज्ञान ] के सद्द- वाहक बनें .....
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स्वांसों ,निगाहों,हर धड़कन में मेरी दाते
जीवन नहाया तेरे प्यार में -
अर्पण ,समर्पण सारे जीवन का दर्शन दाते
वारु मैं जीवन तेरी राह में -
आह न निकले कटे गर्दन हमारी दाते
रखना सदा तूं पनाह में -
रोम-रोम ऋणी है तेरा बख्सा है अमृत दाते ,
जीवन सफल है दरबार में -
सरबंस दानी दाते,दुनियां में न कोई शानी,
दीनों ,धर्म के उपकार में -
मीरी और पीरी दाते ,जीवन की थाती मेरी ,
किश्ती बचायी मझधार से-
उदय वीर सिंह .
10 टिप्पणियां:
गुरु को नमन..
गुरु स्नेह और प्यार में सराबोर इस खूबसूरत रचना के लिए आपका आभार भाई जी !
बहुत बढ़िया प्रस्तुति!
वाहे गुरू जी का खालसा,
वाहे गुरू जी की फतह!!
रोम-रोम ऋणी है तेरा बख्सा है अमृत दाते ,
जीवन सफल है दरबार में -
सरबंस दानी दाते,दुनियां में न कोई शानी,
दीनों ,धर्म के उपकार में
वाह !
sava laakh te ek ladaaon tabahe gobind singh naam kahaoon!!
गुरु के प्रति स्नेह और समर्पण से आप्लावित इस रचना के लिए बधाई .नव वर्ष मुबारक .
गुरु को शत शत नमन
Gyan Darpan
..
गुरु को सत-सत नमन एवं नव-वर्ष की हार्दिक बधाई.
सुन्दर , गुरू के चरणों में सादर समर्पित पोस्ट | गुरुवे नमः |
बहुत ख़ूब!!
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