गुरुवार, 5 जनवरी 2012

दसमेश पिता के वारिश हम ..


    वाहो !,वाहो ! गोबिंद सिंह जी, आपे गुरु चेला 

          पावन गुरु -पर्व पर समस्त देश- विदेश वासियों को लख-लख वधाईयां ,प्यार ,शुभकामनायें ,मीरी[शक्ति  ] और पीरी[ज्ञान ] के सद्द- वाहक   बनें .....


             ***      ***      ***

स्वांसों ,निगाहों,हर धड़कन  में मेरी दाते
जीवन नहाया तेरे प्यार  में  -


अर्पण ,समर्पण सारे जीवन का दर्शन दाते 
वारु  मैं जीवन तेरी राह में -


आह न निकले कटे गर्दन हमारी दाते 
रखना सदा तूं  पनाह में -


रोम-रोम ऋणी है तेरा बख्सा  है अमृत दाते ,
जीवन सफल है दरबार में -


सरबंस दानी दाते,दुनियां में न कोई शानी,
दीनों ,धर्म के उपकार में - 


मीरी और पीरी दाते ,जीवन की थाती मेरी ,
किश्ती बचायी मझधार से-  


                                               उदय वीर सिंह .





10 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

गुरु को नमन..

Satish Saxena ने कहा…

गुरु स्नेह और प्यार में सराबोर इस खूबसूरत रचना के लिए आपका आभार भाई जी !

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत बढ़िया प्रस्तुति!
वाहे गुरू जी का खालसा,
वाहे गुरू जी की फतह!!

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

रोम-रोम ऋणी है तेरा बख्सा है अमृत दाते ,
जीवन सफल है दरबार में -


सरबंस दानी दाते,दुनियां में न कोई शानी,
दीनों ,धर्म के उपकार में
वाह !

सुरेन्द्र "मुल्हिद" ने कहा…

sava laakh te ek ladaaon tabahe gobind singh naam kahaoon!!

virendra sharma ने कहा…

गुरु के प्रति स्नेह और समर्पण से आप्लावित इस रचना के लिए बधाई .नव वर्ष मुबारक .

Gyan Darpan ने कहा…

गुरु को शत शत नमन

Gyan Darpan
..

मन के - मनके ने कहा…

गुरु को सत-सत नमन एवं नव-वर्ष की हार्दिक बधाई.

sangita ने कहा…

सुन्दर , गुरू के चरणों में सादर समर्पित पोस्ट | गुरुवे नमः |

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

बहुत ख़ूब!!