दिल्ली की गलियों से
दिल्लगी हमारी है -
पर्दा बे पर्दा है,
हसरत उधारी है -
गुलशन ख्यालों का ,ख्वाबों की मंजरी
उन्मुक्त हाथों में आशाओं की बंसरी -
बिखरी लटों को अपने
प्यार से संवारी है-
मधु का जखीरा है ,जगमगाता हीरा है ,
पागल बनाये जो सियासत की मदिरा है -
जलती मशाल जान,
पतिंगों ने वारी है-
रोये हैं ज़ख्मो - गम , दिल्ली न रोई है ,
रोशन चिरागां दे ,एक पल भी न सोयी है -
नफ़रत और प्यार का ,
मुकम्मल लिखारी है-
बसने ,उजड़ने का , दर्द -ए- फ़साना है ,
दरिया ए- दिल का ,दीवाना जमाना है -
मल्लिका - ए - रोशनी ,
दुनिया उजारी है-
आश्रय , यतीमों का ,जहीनों का पालना ,
संस्कृतियों का संगम एक भारत का आईना-
युगों तक सलामत दिल्ली ,
शुभ कामना हमारी है -
उदय वीर सिंह .
दिल्लगी हमारी है -
पर्दा बे पर्दा है,
हसरत उधारी है -
गुलशन ख्यालों का ,ख्वाबों की मंजरी
उन्मुक्त हाथों में आशाओं की बंसरी -
बिखरी लटों को अपने
प्यार से संवारी है-
मधु का जखीरा है ,जगमगाता हीरा है ,
पागल बनाये जो सियासत की मदिरा है -
जलती मशाल जान,
पतिंगों ने वारी है-
रोये हैं ज़ख्मो - गम , दिल्ली न रोई है ,
रोशन चिरागां दे ,एक पल भी न सोयी है -
नफ़रत और प्यार का ,
मुकम्मल लिखारी है-
बसने ,उजड़ने का , दर्द -ए- फ़साना है ,
दरिया ए- दिल का ,दीवाना जमाना है -
मल्लिका - ए - रोशनी ,
दुनिया उजारी है-
आश्रय , यतीमों का ,जहीनों का पालना ,
संस्कृतियों का संगम एक भारत का आईना-
युगों तक सलामत दिल्ली ,
शुभ कामना हमारी है -
उदय वीर सिंह .
6 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर, बधाई.
कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधार कर अपना स्नेहाशीष प्रदान करें, आभारी होऊंगा.
दिल्ली से दिल्लगी अच्छी लगी वैसे दिल्ली दिल वालों हैं सियासत को छोड़ कर :):)
बहुत खूब,
दिल्ली सदा ही हमारी रहेगी।
मल्लिका - ए - रोशनी ,
दुनिया उजारी है-
आश्रय,यतीमों का ,जहीनों का पालना ,
संस्कृतियों का संगम एक भारत का आईना-
आपकी 'दिल्ली से दिल्लगी'
दिलखुश कर गई उदय जी.
हर शब्द लाजबाब,हर भाव बेमिशाल.
बहुत बहुत आभार जी.
खूब-सूरत प्रस्तुति |
बहुत-बहुत बधाई ||
सुन्दर प्रस्तुति
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