मुझे रकीब न दो , तुम्हें दुआ देंगे --
आँखों में नमीं है इतनी गुलजार रहेगा गुलशन ,
बे - नजीरों को नज़ीर न दो दुआ देंगें -
पाई है बड़ी मुश्किल से ख़ुशी ,सहेज लेने दो,
लौट जाने की दलील न दो , दुआ देंगे-
वही अल्फ़ाज कहे हमने , जो कहा तुमने,
बयां हो जाये कहीं , जमीर न दो दुआ देंगे -
बंध चुके हैं इतना कि बंध न पायेंगें ,
बंध जाये रूह कहीं , जंजीर न दो दुआ देंगें -
रौंद कर दुनियां बे-गुनाहों की, जय कहने वालों ,
हाथों में मेरे शमशीर न दो दुआ देंगें -
उदय वीर सिंह
13 टिप्पणियां:
वाह, बेहतरीन...
bahot achchi.....
ਉਦੈਵੀਰ ਜੀ,
ਸਤਿ ਸਿਰੀ ਅਕਾਲ !
ਬਹੁਤ ਦਿਨਾਂ ਬਾਅਦ ਆਉਣਾ ਹੋਇਆ....ਪੰਜਾਬ ਫੇਰੀ 'ਤੇ ਸੀ ..ਖੈਰ....
ਬਹੁਤ ਵਧੀਆ ਸਤਰਾਂ ਨੇ........
ਪਾਈ ਹੈ ਬੜੀ ਮੁਸ਼ਕਿਲ ਸੇ ਖੁਸ਼ੀ....
ਵਧੀਆ ਲਿਖਤ ਲਈ ਵਧਾਈ !
ਹਰਦੀਪ
आँखों में नमीं है इतनी गुलजार रहेगा गुलशन
बहुत खूब ...बढ़िया प्रस्तुति
पाई है बड़ी मुश्किल से ख़ुशी ,सहेज लेने दो,
लौट जाने की दलील न दो , दुआ देंगे-
umda
aabhar..
वाह जी वाह ...क्या कहने
Bahut Khoob.
वाह!!!
bahut umda ghazal kahi hai.
रौंद कर दुनियां बे-गुनाहों की, जय कहने वालों ,
हाथों में मेरे शमशीर न दो दुआ देंगें -
बहुत खूब. बेहतरीन प्रस्तुति.
वही अल्फ़ाज कहे हमने , जो कहा तुमने,
बयां हो जाये कहीं , जमीर न दो दुआ देंगे -
बंध चुके हैं इतना कि बंध न पायेंगें ,
बंध जाये रूह कहीं , जंजीर न दो दुआ देंगें -
bahut hi sundar Uday Veer ji ...hr sher lajbab...badhai
रौंद कर दुनियां बे-गुनाहों की, जय कहने वालों , हाथों में मेरे शमशीर न दो दुआ देंगें -
हर शेर पर आह और वाह निकलती है मुख से.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए वाह ! वाह! वाह! जी.
डॉ हरदीप जी की टिपण्णी हिंदी में भी बताईयेगा उदय जी.
ਸਤਿ ਸਿਰੀ ਅਕਾਲ !
सत् श्री अकाल! ही समझ आया मुझे.
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