मंगलवार, 20 मार्च 2012

स्वर दे दिया है


हमने  रचना   को   स्वर  दे  दिया  है
कुञ्ज-कविता   में  घर  ले  लिया  है -

               ताल  लय  में  बंधे सुर थिरकने लगे ,
               मौन  टुटा  तो   प्रज्ञा   विभूषित हुयी -
               शब्द -सर से मधुरिमा प्रवाहित हुयी
               अमृत   कलश   में   सुशोभित  हुयी-
स्नेह की  स्निग्ध सलिला बही है
क्षितिजा  ने  भी  वर  दे  दिया  है-
               नीड़ नवसर से निर्मित  नवल रंग में  
               अलंकारों  से    द्वारों   के तोरण  बने  -
               वर्ण-विन्यास में व्याकरण  की सतह  
               सरस  शौम्य  भावों  के  आसन  लगे  -
आत्मश्लाघा  विस्थापित  हुयी  है  ,
व्यतिरेकों   को  गहवर  दिया  है  -
               ह्रदय खिलउठे  पढ़ सृजन मखमली   ,
               निर्झर  झरे   नित  प्रवर  गीत  बन  
               उल्लास  मन   का   मुखर   हो  उठे  
               पिघल  वेदना  भी  चले  मीत   बन  
आत्मविश्वास  की  वल्लरी  है   
सूने पथ  को रहबर दे दिया  है-  
              टूट जाये न  कविता  की कोई लड़ी ,
              शक्ति , संकल्प  सद्दभाव  के बंद हैं-
              करके स्वीकार,उपकार इतना करो ,
              मूल्य  इनके  नहीं   प्रेम  के छंद हैं -
रुढियों को तो होना है गाफिल ,
रोशनी  को  खबर  दे दिया  है-


                                                 -उदय  वीर सिंह 

8 टिप्‍पणियां:

Anupama Tripathi ने कहा…

मधुरिम स्वर दिया है ...!!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

रचना में बहुत सुन्दर शब्द अंकित किये हैं आपने!

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

ताल लय में बंधे सुर थिरकने लगे ,
मौन टुटा तो प्रज्ञा विभूषित हुयी -
शब्द -सर से मधुरिमा प्रवाहित हुयी
अमृत कलश में सुशोभित हुयी-

सुंदर पोस्ट

my resent post

काव्यान्जलि ...: अभिनन्दन पत्र............ ५० वीं पोस्ट.

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

खूबसूरत बिम्बों से सजी लेखनी

मनोज कुमार ने कहा…

इस रचना में आपने काव्य से संबंधित विविध उपादानों का जिस कुशलता से आपने प्रयोग किया है वह बड़ा ही रोचक है।

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बहुत सुन्दर.....

सादर.

RITU BANSAL ने कहा…

बहुत अच्छा !!!

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सुनते थे कि बिम्ब कविता के भावों को अनुप्राणित करते हैं, आपके भाव तो बिम्बों में प्राण फूँक देते हैं, सब के सब बात करते हुये लगते हैं।