मंगलवार, 27 मार्च 2012

प्रणयिता

शब्दकोशों ,  में    तेरा     नाम  ढूढता   हूँ ,
निष्फल तुम्हारी उपमा उपनाम ढूढता हूँ -


कलियों में,कोशों में, बहारों की वीथियों में ,
झरनों में,  सरिता ,सागर, की, सीपियों में ,


निश्छल ,रश्मियों, का प्रतिदान भेजता हूँ -


सुप्रभात,,गोधुली अमृत वेला की  मानसी ,
अनुभूतियों  की वीणा  बजती, अनाम सी-


अपनों   से   परायों  से   पयाम  भेजता हूँ-


किसलय, कान्ति-वन, हरिता की गोंद में ,
आभा में  ,श्वेतिका  में  ,श्वाती की   बूंद में .


प्रतिदर्शों  की भीड़  में भी  निशान ढूंढ़ता हूँ -


                                     उदय वीर सिंह -
                                      27 /03 /2012

9 टिप्‍पणियां:

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

सुन्दर...अति सुन्दर....

सादर,
अनु

रविकर ने कहा…

असरदार प्रस्तुति |

आभार ||

Deepak Saini ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत सुंदर रचना,बेहतरीन प्रस्तुति

MY RESENT POST...काव्यान्जलि... तुम्हारा चेहरा.

Dr Xitija Singh ने कहा…

तुम्हारा नाम ढूढता हूं ... बहुत सुंदर भाव रचना का ... !!

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

बहुत सुंदर रचना
" aaj ka agra "

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

उत्कृष्ट अभिव्यक्ति का अनुकरणीय उदाहरण है आपकी यह रचना।

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सुंदर भावमयी रचना...

Madhuresh ने कहा…

सुन्दर!!