खासकर पूर्वी उत्तर प्रदेश में जापानी - ज्वर [मष्तिष्क ज्वर ] बिगत 10-12 सालों से मासूमों को अपना शिकार बना रहा है ,प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में नौनिहाल काल- कवलित हो रहे हैं / उसकी विभीषिका का दुखद पहलू यह है कि यदि मासूम बच भी जाता है ,तो मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं हो पाता/ सरकारें संज्ञा-शून्य हैं बहुत ही दारुण स्थिति है ,कारगर दवा नहीं ,संसाधन नहीं, संवेदना नहीं ...../
***
संवेदनहीनता
क्रूरता ,दुस्साहस
का प्रतिरूप
प्रगल्भ इतना कि
छीन लेता चेतना ,किलकारियां ,
हँसता संसार ,
जापानी- ज्वर का ज्वार
निरंतर उठान पर /
क्रूर पंजों में जकडे
मासूम ,नौनिहाल !
अपलक निहारते ,मौत कि राह से
पूछते सवाल !
कौन है जिम्मेदार ,हमारी मौत का ?
सिरहाने ,पायताने खड़े
अँगुलियों में फंसाए ,छोटे हाथ ,
टूटती सांसों को रोकने का
करते निष्फल प्रयास
अभागे जन्म- दाता /
बहुत दूर हैं,बुनियादी सुविधाओं से ,
नहीं है -
-पीने का साफ पानी
- चिकित्सा के संसाधन ,
- कारगर दवा ,चिकित्सक
- दवा का दाम ,
-बचाव के उपाय ,
हजारों -हजार समां चुके
हजारों प्रतीक्षा में
काल के गाल में जाने को ,
संज्ञा -शून्य -
सरकार , सिपहसलार ,
शायद वायरस हो चुके है
या वायरस के
शिकार !
उदय वीर सिंह
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संवेदनहीनता
क्रूरता ,दुस्साहस
का प्रतिरूप
प्रगल्भ इतना कि
छीन लेता चेतना ,किलकारियां ,
हँसता संसार ,
जापानी- ज्वर का ज्वार
निरंतर उठान पर /
क्रूर पंजों में जकडे
मासूम ,नौनिहाल !
अपलक निहारते ,मौत कि राह से
पूछते सवाल !
कौन है जिम्मेदार ,हमारी मौत का ?
सिरहाने ,पायताने खड़े
अँगुलियों में फंसाए ,छोटे हाथ ,
टूटती सांसों को रोकने का
करते निष्फल प्रयास
अभागे जन्म- दाता /
बहुत दूर हैं,बुनियादी सुविधाओं से ,
नहीं है -
-पीने का साफ पानी
- चिकित्सा के संसाधन ,
- कारगर दवा ,चिकित्सक
- दवा का दाम ,
-बचाव के उपाय ,
हजारों -हजार समां चुके
हजारों प्रतीक्षा में
काल के गाल में जाने को ,
संज्ञा -शून्य -
सरकार , सिपहसलार ,
शायद वायरस हो चुके है
या वायरस के
शिकार !
उदय वीर सिंह
17 टिप्पणियां:
पूरब से आती खबर, करे कलेजा चाक ।
शूर्पनखा सरकार की, कटी हमेशा नाक ।
कटी हमेशा नाक, करे न ठोस फैसला ।
घातक ज्वर का वार, गार्जियन हुआ बावला ।
सूझे नहीं उपाय, रही संतानें खाती ।
मारे है तड़पाय, खबर पूरब से आती ।
behad samvedansheel rachna...
sach सरकार , सिपहसलार ,
शायद वायरस हो चुके है
या वायरस के
शिकार !
..tabhi to unpar koi fark nahi padta...
sarthak jagruk prastuti hetu aabhar!
सरकार का ध्यान ही कहां है कहीं ??
भाग्य भरोसे जी रहे हैं सभी ..
सुन्दर प्रस्तुति.....बहुत बहुत बधाई...
इस बीमारी से सशक्त ढंग से जूझने की आवश्यकता।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 19-03-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर भी होगी। सूचनार्थ
बहुत दुखद बात है ये तो...आपकी रचना ने दिल छू लिया...
बहुत सुंदर रचना,......
MY RESENT POST... फुहार....: रिश्वत लिए वगैर....
dukhdayee khabar......
खैराती अस्पतालों में इसका इलाज सम्भव नहीं है!
इसे तो इटली के डॉक्टर ही सम्भालेंगे!
दुखद है ....
सार्थक रचना...
सादर.
प्रभावी कविता है। कोई कारण तो है कि ऐसी अधिकांश महामारियाँ अक्सर अशिक्षित और निर्धन लोगों पर प्रहार करती हैं। समाज, प्रबुद्ध वर्ग, चिकित्सक समुदाय और सरकार को कुछ तो ऐसा करने की ज़रूरत है जो नहीं किया जा रहा.
ज्वलंत समस्या की ओर ध्यानाकर्षित किया है आपने।
वर्तमान दशा का सटीक आकलन करती बहुत सुन्दर हृदयस्पर्शी भावाभिव्यक्ति....
इन दिनों तो सरकार भी मष्तिष्क शोथ ,जैपनीज एन्सिफ़ेलाइतिस से ग्रस्त है .साड़ी सरकार गोरख -पुरिया गोरख धंधा हो गई है कौन कहाँ है उसे वहां से खुद अपनी खबर नहीं .
सार्थकता लिए बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
हजारों -हजार समां चुके
हजारों प्रतीक्षा में
काल के गाल में जाने को ,
संज्ञा -शून्य -
सरकार , सिपहसलार ,
शायद वायरस हो चुके है
या वायरस के
शिकार !
सार्थक प्रस्तुति |
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