शत -शत नमन,
अमर पुत्र ! .
नहीं है कुछ कहने को
प्रशंशा में तेरें ,
नहीं हैं तेरे स्तर की,
कोई उपाधियाँ ,
नहीं है कोई उपमा
तेरे समक्ष
नहीं है कोई ज्योति ,
जैसी तुने जलाई ,
नहीं है कोई स्वप्न सदृश्य ,
जो तूने देखा
शक्तिशाली ,समर्थ ,अखंड
सम्पूर्ण स्वतंत्र ,
राष्ट्र का /
गुलामों सी दशा में ,
आज भी अभिशप्त हैं
भारत !
श्रधांजलि भावों की
क्षमा के साथ
न चल पाए हैं
तेरी राह,
न कर सके मुक्तसर
तेरे जख्मों को
जो दिए तेरे
अपनों ने ........./
उदय वीर सिंह
23/03/2012
12 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर सर...
वाकई कभी कभी लगता है कि उन शहीदों की कुर्बानी व्यर्थ चली गयी...
सादर...
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति..शत शत नमन अमर शहीदों को...नव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें !
बहुत अच्छी प्रस्तुति!
इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
आपको नव सम्वत्सर-2069 की हार्दिक शुभकामनाएँ!
अमर शहीदों को नमन
शत शत नमन अमर शहीदों को ||
नव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें ||
neemnimbouri.blogspot.com
बिलकुल सटीक लिखा है ॥शहीदों को नमन
नव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें...
बहुत सुंदर लिखा ..
शत -शत नमन,
अमर पुत्र !!
बहुत खूब ... शहीदों को शत शत प्रणाम ... !!
औरों की फाँसी भी नहीं खलती, अपनों के शब्द भेदते हैं।
bahut sundar shaheed bhagatsingh jaise virle hi paida hote hain.nootan samvatsar ki shubhkamnayen.
अमर शहीदों को नमन
बहुत सटीक सार्थक रचना
आभार जी,
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