मंगलवार, 3 अप्रैल 2012

इबारत लिखी अमन की

मशाल   इन्कलावी    बुझाई   क्यों   गयी है -
इबारत लिखी अमन की,मिटाई क्यों गयी है ,


टुटा    है    हौसला ,  बिकता    इमान  है ,
इंसानियत से दुरी , बनायीं   क्यों गयी है -


क्या बात है ये दौर लुटेरों का हो गया है ,
चिता  दानवीरों  की जलाई क्यों गयी है-


खंजर के जख्म इतने,छलनी हुआ है सीना ,
रकीबे-वतन की राह ,सजाई क्यों गयी है -


बनाओ न उज्र है ,महलों को आसमां तक ,
मुफलिस की झोपड़ी , गिराई क्यों गयी है-


साजिशो सितम का दौर ख़त्म होना ही चाहिए  
मुल्को,आवाम अपने,गल भुलाई क्यों गयी है-


                                            उदय वीर सिंह 
                                             03 /04 /2012  .

10 टिप्‍पणियां:

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

वाह!!!!!!!!!!

बेहतरीन.................

सादर
अनु

S.N SHUKLA ने कहा…

बहुत सुन्दर सृजन , बधाई.

कृपया मेरे ब्लॉग "meri kavitayen"पर भी पधारने का कष्ट करें, आभारी होऊंगा.

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

साजिशो सितम का दौर ख़त्म होना ही चाहिए
मुल्को,आवाम अपने,गल भुलाई क्यों गयी है-

वाह!!!!बहुत बढ़िया रचना,सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन पोस्ट के लिए बधाई ....

MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: मै तेरा घर बसाने आई हूँ...

Dr Xitija Singh ने कहा…

क्या कहूं ... निशब्द हूँ ... कितने सवाल ... और जवाब ... लाजवाब ... !!

रचना दीक्षित ने कहा…

क्या बात है ये दौर लुटेरों का हो गया है ,
चिता दानवीरों की जलाई क्यों गयी है-

सुंदर अभिव्यक्ति, गंभीर विचार.

बधाई.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

अमन का सन्नाटा लोगों को हजम नहीं होता है।

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

बेहतरीन गजल्…… शेर भी बढिया बन पड़े हैं।

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

बेहतरीन गजल्…… शेर भी बढिया बन पड़े हैं।

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

मशाल इन्कलावी बुझाई क्यों गयी है -
इबारत लिखी अमन की,मिटाई क्यों गयी है ,



वाह .....
आपकी कलम से यूँ ही इबारतें लिखी जाती रहे दुआ है .....

vikram7 ने कहा…

साजिशो सितम का दौर ख़त्म होना ही चाहिए
मुल्को,आवाम अपने,गल भुलाई क्यों गयी है
behad pasand aaii aap kii yah sudar rachana