परीक्षा पुस्तिकाओं में ,
सूखे ,अश्रुजल ,
बिंधा हुआ दृदय,पिस्तौल
का भूगोल ,
विवसता ,पश्चाताप ,या
निर्लज्जता !
नहीं मालूम ...
परीक्षक पढ़ता है
उत्तर !
जो उत्तरपुस्तिका में लिखे गए ,
सर !
प्रार्थना है !उत्तीर्ण करने की
याचना है !
वरना -
मेरी मंगनी टूट जाएगी .....
पांच बार फेल हो चूका हूँ ...
आप ही मेरे सब कुछ हैं ....
आप गुरु मैं चेला ....
मेरी प्रतिष्ठा का प्रश्न है ...
जान दे दूंगी आपके नाम पर ...
ये मेरा मोबाईल नंबर ,
पास करें याद करें .....
आखिर आप भी तो ....
बचकर कहाँ जायेंगे ....
अपराध लगेगा मेरी आत्महत्या का ...
मुझे जीने दो....
इज्जतदार हूँ ,भांडा फुट जायेगा ...
थोडा लिखना ,ज्यादा समझना ......
पास हो गया तो प्रणाम ,
फेल तो तेरी .......
शब्द कम हैं वर्णन को
इन परिक्षानुरागियों के /
पत्रानुराग में
सिद्धस्त हैं ,
अभ्यस्त हैं ,या
अवसादग्रस्त हैं ...
उदय वीर सिंह .
12 टिप्पणियां:
हर काम दूसरे रास्ते से कराते आने की आदत है ऐसे लोगों को। साथ ही अपना कोई काम रुकता भी नहीं देख सकते। ...
येषां न विद्या न तपो न दानम
ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मा ...
यह जमाना और है। इतना क्या कम लिखा बच्चे ने? क्या नहीं है इसमें संवेदना, शिफ़ारिश, घुड़की, धमकी आदि आदि। भला और क्या चाहिए एक परीक्षक को पास करने के लिए जो डीआईवोएस ऑफ़िस का बाबू अथवा चपरासी होकर भी अंग्रेज़ी की कॉपी जांच रहा हो
आम बात है ऐसे सन्देश परीक्षक को मिलना........
विद्यार्थियों के भीतर की कुंठा है या ढीठपन...
अच्छी प्रस्तुति
सादर
बढ़िया प्रस्तुति ||
सादर ||
विद्यार्थी गुणवान है, घालमेल में सिद्ध ।
व्यवहारिक विज्ञान पर, नजर जमी ज्यों गिद्ध ।
नजर जमी ज्यों गिद्ध, चित्तियाँ लिखना आता ।
रिश्वत देने में निपुण, ढंग से है धमकाता ।
साम दाम सह दंड, जानता परम स्वार्थी ।
रहा सीखना भेद, सीख लेगा विद्यार्थी ।।
बड़े ही गूढ़ अर्थ का समावेश किया है आपने इस रचना में।
dukhad sthiti ...
gambheer ....halat batati rachna ...
जब इतना कुछ दाँव पर लगा हो तो पास ही कर देना चाहिये।
बढ़िया प्रस्तुति...बहुत सुन्दर.. उदय जी...
हंसी भी आ रही है और रोना भी !
ढिठाई है पर हिम्मती भी हैं...वे पास हुए या नहीं!!!
विषमता की आग ,वैमनस्यता की राह ,
टूटी हुयी नाव से गुजरना चाहता है कौन ,
शंशय और पीड़ा का आकारहीन क्षितिज ,
उत्सव के आँगन,बसाना चाहता है कौन ।
जिंदगी के ताने-बाने में उलझे लोग,
कौन जी पाता है ढंग से यहां ?
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