मंगलवार, 17 अप्रैल 2012

फरीक

शराफत से अच्छा है ,कहीं बदतमीज हो जाना ,
दोस्त  से  अच्छा है,  कहीं    रकीब  हो  जाना -

जिंदगी आसान नहीं  ,  बे -अदब  चौराहों पर ,
बे- नजीर से अच्छा है, कहीं   नजीर हो जाना -

क़त्ल  होना  बनता हो जब,  हँसी   का   सबब ,
म्यान  से अच्छा  है  कहीं , शमशीर  हो जाना -

अमन   यूँ  ही  खैरात  में ,मिलता  नहीं  उदय,
 नशीब से अच्छा है ,कहीं  बदनशीब हो जाना-

हो चले, शौक -ए - सद्र , आवाम की जलालत,
जिंदगी से अच्छा है , मौत  के करीब हो जाना-

दौलत की  दीवार  से ,फासले बढ़ने लगे कहीं  ,
अमीर  से  अच्छा  है, कहीं   गरीब   हो  जाना-

                                               उदय वीर सिंह .
                                               17 -04 -2012

13 टिप्‍पणियां:

Rakesh Kumar ने कहा…

कमाल की प्रस्तुति है आपकी.
बहुत कुछ कहती हुई.

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बहुत खूब.............

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत बढ़िया कमाल की प्रस्तुति,सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन रचना,...

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रचना दीक्षित ने कहा…

शराफत से अच्छा है ,कहीं बदतमीज हो जाना ,
दोस्त से अच्छा है, कहीं रकीब हो जाना -

कमाल शेर पेश किया है. गज़ब की प्रस्तुति.

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति... बहुत बहुत बधाई...

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत खूब ... सुंदर गजल

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

सत श्री अकाल भाई उदय जी |कमाल का लिखा है आपने |ब्लॉग पर आने के लिए आभार |

Nidhi ने कहा…

बढ़िया गज़ल...!

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

काश लोग ये समझें कि वे क्या पाने के लिये क्या खो रहे हैं।

virendra sharma ने कहा…

दौलत की दीवार से ,फासले बढ़ने लगे कहीं ,
अमीर से अच्छा है, कहीं गरीब हो जाना-
बढ़िया हैं तमाम अश -आर .बढ़िया है अदब से बे -अदब हो जाना .,वफ़ा से बे -वफ़ा होना .

Kailash Sharma ने कहा…

जिंदगी आसान नहीं , बे -अदब चौराहों पर ,
बे- नजीर से अच्छा है, कहीं नजीर हो जाना -

....बहुत खूब! बेहतरीन प्रस्तुति...

Satish Saxena ने कहा…

बहुत प्यारे शेर हैं भाई जी ....
शुभकामनायें आपको !

मनोज कुमार ने कहा…

जब मन ऊहापोह की स्थिति में हो, तो अच्छा है कुछ अच्छा ही किया जाए।