मौन तोड़ो ,अधर खोलो ,संवाद करो ,
खंडित हो पग - बंध , तीब्र आघात करो -
ध्येय , धर्म, संकल्प, चरित्र सुचिता ,
आत्मबल अनुराग अस्मिता आलोक -
प्रतिभा ,प्रयोग ,प्रयत्न पराक्रम प्रज्ञा
हृदय, हुलाष , हठ हित आमोद-
वरण शुभ का करो ,सृजन आत्मसात करो -
शक्ति , संचित , संचरित , शमनार्थ
विद्वेष , विकलता , व्यसन दमनार्थ ,
उतिष्ठ, उत्तान, उमंग - उर , उर्जावान
उरस्य व्यग्रता,विजय,वरण निहितार्थ ,
स्वर संधान , मृदु- तान भरो, आलाप करो-
निशा निमित्त, निखिल नभ नम्रता ,
आवरण आसन्न , आभा अंचिता-
पुष्ट - प्रतिकार , प्रमाद , प्रवंचना ,
सत्य, स्वीकार ,सदैव सत - संघिता-
जय बोलो , प्रवीर , प्रखर संघात करो-
शत्रु- दमनार्थ ,रक्षार्थ गौरव,प्रतिघात करो -
उदय वीर सिंह
07-05-2012
12 टिप्पणियां:
अद्भुत उत्साहवर्धक पंक्तियाँ..कई बार पढ़ने का मन किया..
बहुत प्रेरक संदेश देती सुन्दर रचना..बधाई..
वरण शुभ का करो ,सृजन आत्मसात करो -
उत्कृष्ट ...सकारात्मक रचना ...!!
शुभकामनायें ...!!
सही सन्देश |
आभार भाई जी ||
निशा निमित्त, निखिल नभ नम्रता ,
आवरण आसन्न , आभा अंचिता-
पुष्ट - प्रतिकार , प्रमाद , प्रवंचना ,
सत्य, स्वीकार ,सदैव सत - संघिता-
जय बोलो , प्रवीर , प्रखर संघात करो-
अद्भुत, उत्कृष्ट, सकारात्मक, प्रेरक, प्रस्तुति,....
RECENT POST....काव्यान्जलि ...: कभी कभी.....
वाह क्या बात है!! आपने बहुत उम्दा लिखा है...बधाई
ध्येय , धर्म, संकल्प, चरित्र सुचिता ,
आत्मबल अनुराग अस्मिता आलोक -
प्रतिभा ,प्रयोग ,प्रयत्न पराक्रम प्रज्ञा
हृदय, हुलाष , हठ हित आमोद-
वरण शुभ का करो ,सृजन आत्मसात करो -
बहुत सुन्दर विचारों से युक्त रचना...
शत्रु- दमनार्थ ,रक्षार्थ गौरव,प्रतिघात करो -
प्रेरक रचना
तेजस्वी स्वर! वरण शुभ का करो ,सृजन आत्मसात करो! वाह!
सुन्दर विचारों से युक्त उत्साहवर्धक पंक्तियाँ.... प्रेरक संदेश देती सुन्दर रचना...शुभकामनायें ..
अति उत्तम रचना उदय जी, बधाई । वैसे सभी स्तरीय हैं । आपकी भाषा भी सधी हुई है और सजी हुई भी ।
हॉं मेरी पोस्ट पर स्नेह के लिए आभार ।
अति उत्तम रचना उदय जी, बधाई । वैसे सभी स्तरीय हैं । आपकी भाषा भी सधी हुई है और सजी हुई भी ।
हॉं मेरी पोस्ट पर स्नेह के लिए आभार ।
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