बुधवार, 9 मई 2012

बाबा- बाजार

बाबा या व्यापार  ,
आस्था का हथियार ,
धर्म के ठेकेदार !
प्रेम की बौछार ,धन-धान्य,अमृत
कृपा वर्षा रहे हैं ..
कोलाहल है, बाजार में नित
नए बाबा आ रहे हैं ..
आधिपत्य था,जिनका सदियों से
घबरा रहे हैं ...
धर्म ग्रंथों के अनुसार
बाबा नहीं आ रहे हैं .....
अकूत दौलत आती  रही है ,
दसवंध के रथ चढ़ ,
कृपा मिलती रही , अर्थ के बल /
जनता लुटती रही
धर्म-सेवक ,धर्म- स्थान
कुबेर बनते रहे ....
कोई प्रतिवाद नहीं,
व्यवस्थानुसार था  /
परिवेश बदला है ,
कृपा खरीदी- बेचीं जा रही हैआज भी /
पीठ- पीठाधीश्वर
बदल गए हैं ....
निवेस  जारी  है ,
प्रतिवाद सिर्फ इसलिए कि-
बैंक बदल गए हैं ,
सरोकार वही ,
बाबा बदल गए हैं ....  /


                    उदय वीर सिंह .
                    09-05-2012

9 टिप्‍पणियां:

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

कृपा खरीदी- बेचीं जा रही हैआज भी /
पीठ- पीठाधीश्वर
बदल गए हैं ....
निवेस जारी है ,
प्रतिवाद सिर्फ इसलिए कि-
बैंक बदल गए हैं ,
सरोकार वही ,
बाबा बदल गए हैं .... /

कृपा खरीदने और बेचने वाले बाबाओं पर सटीक व्यंग,...बेहतरीन

रविकर ने कहा…

आधुनिक ढोंगी बाबाओं ने
हमारी आस्था से खिलवाड़
करने का पाप किया है |

मनोज कुमार ने कहा…

बाबों का बाज़ार गर्म है, और व्यवस्था नर्म है।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

लोग जो गहरे नहीं जाना चाहते हैं, अन्ततः ठगे जाते हैं।

ZEAL ने कहा…

reality revealed..

संध्या शर्मा ने कहा…

सरोकार वही ,
बाबा बदल गए हैं .... /

सही है, जब तक हम नहीं सुधरेंगे, इन बाबाओं का कारोबार यूँ ही फलता-फूलता रहेगा... सटीक अभिव्यक्ति

रविकर ने कहा…

हर दिन जैसा है सजा, सजा-मजा भरपूर |
प्रस्तुत चर्चा-मंच बस, एक क्लिक भर दूर ||

शुक्रवारीय चर्चा-मंच
charchamanch.blogspot.in

Suresh kumar ने कहा…

ham sab kuch jaante hain phir bhi in lutero ke chakkar me fas jaate hain.

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

bahut accha....