वो आता है ,
बेल बजाता है ,
मुझे देख हकलाता है
बाबूजी ! मैडम ...
तरन को देख सिर झुकाता है
कुछ दे दीजिये
हाथ फैलाता है ,
पत्नी पूछती है
फिर भाग आये आनाथालय से ?
जी नहीं ,
बाप उठा लाया ,
लगा दिया हलवाई की दुकान पर
अंगुलियाँ गल गयीं
काम से हटा दिया ,
अब क्या करूँ ?
बड़ी बहन थी सन्नो कल बाप ने बेच दिया
खूब रोई वो , मैं भी ....
बोली थी मैडम को बताना .../
बाप ने मारा ,
मना किया ..
कल नयी माँ आएगी ..
किससे नाता जोडूं ?
भाग्य से ,बाप से ...या मौत से
माँ की याद आती है
आता हूँ ,
आप में माँ , पाता हूँ
शायद आप नाराज हैं ,मैं माँ को भी , भूल जाना चाहता हूँ
कल दूर बहुत दूर
माँ के पास
जाना चाहता हूँ ....
खाली हाथ ही था ,
कुछ दे पाते कि
टूर गया......
हम दोनों देखते रहे ....
नहीं आएगा ,
जो आता रहा .......
उदय वीर सिंह
14-05-2012
7 टिप्पणियां:
मार्मिक-
दर्द ही दर्द |
सशक्त प्रस्तुति भाई जी |
सादर ||
किस पीड़ा में सिमट जाये वह..
बहुत अच्छी मार्मिक प्रस्तुति!
बहुत सुंदर दर्द भरी सशक्त रचना,..अच्छी प्रस्तुति
MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: बेटी,,,,,
विषम परिस्थितियां ...
मार्मिक रचना ...!!
शुभकामनायें .
मार्मिक प्रस्तुति
समाज में ऐसे बच्चे भी हैं जिनका कोई नहीं।
मार्मिक कविता।
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