शनिवार, 16 जून 2012

खुदा की तरह


हमने  माना  है  तुम्हें  खुदा  की   तरह ,
दिल में आज भी हो, मेरे  खुदा की तरह


हमने   ढूंढा   बहुत ,खुदा   नहीं   मिलता  ,
जब   भी   चाहा,  मिले  खुदा   की  तरह -


अश्क आये नहीं ,रेशम सी अंजुली  दे दी ,
पास     आये     उदय  ,  खुदा   की  तरह - 


रूठ  जाने   की  ज़माने  ने  निभाई  रश्में,
मनाने   की  अदा तेरी  ,  खुदा  की  तरह-


गिला   नहीं  दे,  दस्तक   लौट  जाने  का,
ख्वाबों  में  ही  आना ,मेरे खुदा  की  तरह-


दर्द गाफिल है,तुम्हें करके हवाले गुलशन,
गुले   पयाम   रहो .  मेरे   खुदा  की  तरह -


न  भूल पाए हैं तेरी, फितरत लुट लेने की ,
देकर के इतना प्यार ,मेरे  खुदा  की तरह - 


                                            उदय वीर सिंह
                                              16-06-2012.
     

12 टिप्‍पणियां:

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

बेहतरीन रचना, वीर जी

मिलिए सुतनुका देवदासी और देवदीन रुपदक्ष से रामगढ में
जहाँ रचा गया महाकाव्य मेघदूत।

मनोज कुमार ने कहा…

इस रचना में प्रेम है तो सिर्फ़ घटना बनकर नहीं है।

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बहुत सुन्दर उदय जी...

अश्क आये नहीं ,रेशम सी अंजुली दे दी ,
पास आये उदय , खुदा की तरह -

लाजवाब गज़ल..

Anupama Tripathi ने कहा…

हमने माना है तुम्हें खुदा की तरह ,
दिल में आज भी हो, मेरे खुदा की तरह

सुंदर विचार और उतनी ही सुंदर अभिव्यक्ति ...!!
शुभकामनायें

अरुन अनन्त ने कहा…

बेहतरीन सुन्दर रचना !!!! बधाई !!!!!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

गिला नहीं दे, दस्तक लौट जाने का,
ख्वाबों में ही आना ,मेरे खुदा की तरह-


बहुत खूब ...

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

न भूल पाए हैं तेरी, फितरत लुट लेने की ,
देकर के इतना प्यार ,मेरे खुदा की तरह -

बहुत बेहतरीन सुंदर गजल,,,लिखने की बधाई

RECENT POST ,,,,पर याद छोड़ जायेगें,,,,,

संध्या शर्मा ने कहा…

इतना चाहा उसे की वो खुदा गया
कुछ कहने को अब बाकी ना रहा...
लाजवाब, बेमिसाल... सादर

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

उन्हें खुदा समझा, खुद को कुछ भी नहीं..

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

बढि़या ग़ज़ल लिखी है आपने।

नीरज गोस्वामी ने कहा…

अच्छी रचना
नीरज

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

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बेहतरीन रचना


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ब्लॉ.ललित शर्मा
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