गुरुवार, 28 जून 2012

नेह धागे



कमजोर        होते       हैं ,   नेह   धागे ,
जोड़ोगे  दिल   से,  तो  कायम   रहेगा -
*
वर्षा   जो    सावन   हुलस  वीथियों में ,
जख्मों   का   दर  भी  मुलायम रहेगा -
*
न  बीतेंगी  रातें ,  सितारों  को गिनते ,
मधुर  रागिनी     का  , गायन    रहेगा -
*
अधर   मौन होंकर  भी  , संवाद  होगा ,
ह्रदय  गीत   गाये  ,  ह्रदय   ही   सुनेगा-
*
कली ,पुष्प, कोमल किसलय  न  होंगे,
स्नेह फिरभी हृदय में कभी कम न होगा-
*
पलक  में  बसे जो छलक छलक जाते,
भरोषा    दिया    है ,  निभाना   पड़ेगा-


                                       उदय वीर सिंह
                                        28/ 06 / 2012

10 टिप्‍पणियां:

Anupama Tripathi ने कहा…

न बीतेंगी रातें ,सितारों को गिनते ,
मधुर रागिनी का , गायन रहेगा -

सुमधुर रागिनी ...बहुत सुंदर भाव ...
शुभकामनायें. ...!!

रविकर ने कहा…

बढ़िया नेह धागे |
बधाई भाई जी ||

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

अधर मौन होंकर भी, संवाद होगा ,
ह्रदय गीत गाये , ह्रदय ही सुनेगा

मौन की भाषा बड़ी प्रबल होती है..

ਸਫ਼ਰ ਸਾਂਝ ने कहा…

ਬਹੁਤ ਹੀ ਵਧੀਆ ਲੱਗੀ ਰਚਨਾ....
ਨੇਹ ਧਾਗੇ ਜਾਣੀ ਮੋਹ ਦੇ ਧਾਗੇ
कमजोर होते हैं , नेह धागे ,
जोड़ोगे दिल से, तो कायम रहेगा
ਵਧਾਈ !

ਹਰਦੀਪ

ਵਰਿੰਦਰਜੀਤ ने कहा…

पलक में बसे जो छलक छलक जाते,
भरोषा दिया है , निभाना पड़ेगा-
ਇਹ ਸਤਰਾਂ ਬਹੁਤ ਵਧੀਆ ਲੱਗੀਆਂ।
ਚੰਗੀ ਲਿਖਤ ਲਈ ਵਧਾਈ!

ਵਰਿੰਦਰਜੀਤ

सदा ने कहा…

अनुपम भाव लिए बेहतरीन प्रस्‍तुति।

Kailash Sharma ने कहा…

अधर मौन होंकर भी, संवाद होगा ,
ह्रदय गीत गाये , ह्रदय ही सुनेगा-

...बहुत सुन्दर और भावमयी रचना...बधाई

मनोज कुमार ने कहा…

मनरेगा के नाम पर,मुखिया के घर भोग |
ककड़ी,खीरा छोड़कर,चिप्स चबाते लोग ||(५)

कविता तो अच्छी है ही, अनुप्रास ने मन मोह लिया।

Satish Saxena ने कहा…

एक सुंदर रचना ...
बधाई भाई जी !

Rakesh Kumar ने कहा…

अधर मौन होंकर भी, संवाद होगा ,
ह्रदय गीत गाये ,ह्रदय ही सुनेगा-

उत्कृष्ट मधुर भावों की ठंडी सी
फुआर है आपकी यह अनुपम अभिव्यक्ति.

दिल को विभोर और सराबोर कर दिया है.

बहुत बहुत आभार जी.


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