आज वरसे हैं घन , टूट के ,
ऊष्मा , तिरोहित हो गयी ..
तप्त था आँचल ,अभिशप्त सा धरातल
दग्ध था हृदय , मष्तिष्क में हलचल
उबलते स्वेद कण बहते अहर्निश देह से ,
झुलस रोम कहे , घटा क्यों हुयी निर्मम,
आभार हृदय से हर बूंद का
शीतलता , जलन को दे गयी ..
तरु पुष्प पादप विलुप्तता की ओर
कंकाल से रह गए ,वल्लरी निः वस्त्र
प्रचंडता लू की ,पी गयी, शीतल समीर
सूखे सरोवर, झील ,ताल विफल संयंत्र-
निहारिका , विकल वेगमान
बादलों में नियोजित हो गयी-
प्यासी धरती प्यासे जीव,तृप्त दावानल
उद्घघोष करता, बल का विजय का
झुलसते पांव , पथिक , अग्नि-पथ में
उठाये हाथ देखता नभ ,याचना वर का -
वरदान बन के आई रिमझिम
तपिश तन की, कहीं खो गयी -
गूंजने लगी ध्वनि , उभय जलचरों की
कोपलों का पादपों से सृजन का सन्देश
सोंधी खुशबू मिटटी से ,पवन शीतल
फसल उगेगी ,हरीतिमा का शुभ संकेत -
फुहारों संग, कजरी ,गीत झूलों पर
धानी चुनर,धरा की आस बो गयी -
*
उदय वीर सिंह
14 टिप्पणियां:
प्रकृति के साथ रमता मन। यह प्रयास बहुत ही अच्छा लगा । आशा है भविष्य में भी इस प्रकार के पोस्ट पाठकों को पढ़ने के लिए मिलते रहेंगे।
बारिश का एहसास करती सुंदर रचना
बहुत सुन्दर रचना....
सर हरे रंग से लिखे टेक्स्ट को पढ़ने में ज़रा दिक्कत आ रही है...
सादर
अनु
प्यासी धरती जल पायी है..
आदरणीय डॉ मनोज साहब , प्रवीण पांडे जी , सुह्रिदया संगीता स्वरुप जी , अनु जी , तहे दिल से शुक्रिया , मौसम बेईमान हो गया था गर्मी से बुरा हाल था ,लिखना पढ़ना मुस्किल हो गया था ,,मेघ आये वरदान बन कर सर्व जन के लिए ...... बस अनायास बह चली फुहार के संग .....
अग्रे अनु जी माफ़ी चाहेंगे अस्पष्टता के लिए , रंग बदल दिया है , आशा है मेरा मर्म और विचार स्पष्ट होंगे , मेरे पाठक थोड़े से ही हैं, और वो भी वंचित रह जाएँ ,तो ख़ुशी कैसे होगी ....
पुनः सदर वंदन के साथ शुभकामनायें ../
बहुत सुन्दर!
बहुत अच्छी प्रस्तुति!
इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (08-07-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
गूंजने लगी ध्वनि , उभय जलचरों की
कोपलों का पादपों से सृजन का सन्देश
सोंधी खुशबू मिटटी से ,पवन शीतल
फसल उगेगी ,हरीतिमा का शुभ संकेत -
सावन में बारिश का अहसास कराती सुंदर रचना,,,,,,
RECENT POST...: दोहे,,,,
गज़ब का शब्द विन्यास ...बेहद खूबसूरत रचना ..
आभार आपका !
गूंजने लगी ध्वनि , उभय जलचरों की
कोपलों का पादपों से सृजन का सन्देश
सोंधी खुशबू मिटटी से ,पवन शीतल
फसल उगेगी ,हरीतिमा का शुभ संकेत.
बारिश का एहसास करती सुंदर रचना.
बहुत -बहुत सुन्दर रचना....
:-)
बहुत -बहुत सुन्दर रचना....
:-)
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
बहुत ही सुन्दर अद्दभुत अभिव्यक्ति रिमझिम फुहारों जैसी आपकी रचना भाव विभोर कर गई
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