रहने दो , उनके पास मुझे
जो हाथ , मुझे छू लेते हैं
सुन लेते , कुछ मेरी बीती ,
कुछ अपनी बीती , कह लेते हैं -
मैं हूँ बंद अंधेरों में
वो खुली स्वांस जी लेते हैं ,
बीता आज , कल की देखेंगे
प्रतिकार शून्य , सो लेते हैं -
मांगा बन्दों से मिला नहीं ,
अब ईश्वर से कह लेते हैं
टूटी - फूटी , भाषा , उनकी ,
हास्य , करुण का ज्ञान नहीं ,
अलंकार, समास लय- ताल नहीं,
शब्द , व्याकरण का, भान नहीं ,
सीधी सरल, सपाट , मृदु वाणी ,
संवाद हृदय से कर लेते हैं -
बेढब फर्श , हृदय समतल है .
बाँहों में प्यार उमड़ता है
रंग - महल और इन्द्र - सभा से
दूषित मन हो उठता है -
मदिरा की गागर, भद्र -जनों को ,
वो छाछ धेनु का पीते हैं -
वो अभिशप्त हुए, हम तृप्त हुए
श्रम उनका, मालामाल हुए हम ,
दैन्य - दीनता उनकी न गयी,
वो भूखे हैं , खुशहाल हुए हम -
आशा में ,सुखमय दिन आयेगे
प्रतीक्षा में जी लेते हैं-
ईश्वर के घर की चिंता में, हम
विकल हुए हम व्यथित हुए
ईश्वर के बनाये मानव में,
भेद भांति के सृजित हुए-
जो गति , विकास की आहुति में
जन्म न्योछावर कर देते हैं-
पाकर के ऊँचाई इतनी
दृष्टि की क्षमता , न्यून हुयी ,
असह्य वेदना , पीर परायी ,
देख संवेदना मौन रही-
संज्ञा - शून्य , संकीर्ण विथियाँ ,
मानस में भर लेते हैं -
याचित आँखें , मौन अधर ,
हम दे न सके, दो शब्द मृदुल,
प्यासे ह्रदय से दूर रहे
बन न सके , रस,,-धार सलिल -
निधियां रखते तालों में हम
वो खुली आँख रख लेते हैं -
छल - प्रपंच , व्यतिरेक, कुटिलता ,
पाई मेरे आँगन से ,
बुहारी, पाई , ले गए ,
लौटाई मय व्याज, श्रद्धा मन से -
उगाते फसल , दाने तो मेरे ,
अवशेष उन्हें , दे देते हैं -
सह लेते दुःख प्रारव्ध समझ
दस्तक नाकाम ईश्वर के दरवाजों से,
पूछता रहा भाग्य का पैमाना ,
हैं अनुत्तरित प्रश्न , रचनाकारों से -
विकल्प मेरे हैं सुरा , अमृत
अविकल्प गरल वो पीते हैं -
उदय वीर सिंह
09/07/2012
8 टिप्पणियां:
बहुत ही सुन्दर कविता..
बहुत सुन्दर....भावपूर्ण रचना..
सादर
अनु
अच्छी प्रस्तुति |
बहुत बहुत बधाई ||
मांगा बन्दों से मिला नहीं ,
अब ईश्वर से कह लेते हैं
गहन भाव... सुन्दर प्रत्यार्पण...
आपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार १०/७/१२ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चामंच पर की जायेगी आप सादर आमंत्रित हैं |
सह लेते दुःख प्रारव्ध समझ
दस्तक नाकाम ईश्वर के दरवाजों से,
पूछता रहा भाग्य का पैमाना ,
हैं अनुत्तरित प्रश्न,रचनाकारों से -
बहुत भाव पूर्ण अभिव्यक्ति,,,,,बधाई
RECENT POST...: दोहे,,,,
Very nice post.....
Aabhar!
Mere blog pr padhare.
बीता आज , कल की देखेंगे
प्रतिकार शून्य , सो लेते हैं -
वाह!वाह!!
बहुत ही अच्छी कविता है.
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