रविवार, 22 जुलाई 2012

बंदगी ही हाथ में .....


 [ बंदगी ही हाथ में .....  पूज्यनीय गुरुजनों, मेरे प्यारे मित्रों ,शुभचिंतकों ,स्नेहियों ,सुधि पाठकों,
मेरी ब्लॉग यात्रा की वीथियों में ,सौभाग्यतः  मेरे जन्म दिन 23-जुलाई की पूर्व संध्या पर ,एक अध्यात्मिक रचना ." बंदगी ही हाथ में..." को   300 वां  पड़ाव के रूप में प्रतिष्ठा मिली है , ख़ुशी है आपको अर्पित करते हुए /शुक्रगुजार हूँ , आपके ढेर सारे  निश्छल स्नेह ,सम्मान आदर का  /  आभार  व   कृतज्ञता   ज्ञापित करते हुए...अभिभूत हूँ, जिसने मुझे विस्वास व संबल  दिया / मेरे नवीनतम काव्य संकलन  " उदय शिखर " को हाथो -हाथ लिया , सराहा ,अपने अमूल्य समय की सहभागिता दी, ऋणी  हूँ , आप सबका....                               स्नेहाकांक्षी ----      उदय वीर सिंह.
   
             *****


स्वांसें    मिली    उधार    में ,
   जिंदगी,  किसी  और की  है ,
    आईना  किसी   और  का है ,
       सूरत    किसी   और  की  है-


ख्वाबों    के   सिलसिले   हैं,
    निगाह   किसी   और की है -
      उम्र    भर    जो    साथ   थी 
         वो आवाज किसी और की है-

दिन   का   पता  नहीं  उदय ,
   ये   रात  किसी  और  की  है -
     महफ़िल,  है    जिंदगी    की,
        कायनात ,किसी और  की है -


कहने     लगे       शुरुर     में ,
  जो   बात,  किसी और की है -
    बंदगी      सिर्फ़     हाथ  में  है 
       दात  ,  किसी    और    की  है- 


                                     उदय  वीर सिंह 
                                         22-07-2012





10 टिप्‍पणियां:

शिवनाथ कुमार ने कहा…

बंदगी सिर्फ़ हाथ में है
दात , किसी और की है-

सही कहा, सब कुछ तो ऊपर वाले की देन है.
आपको जन्मदिवस की अग्रिम शुभकामनाएँ !
सादर !

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत खूब ...

Maheshwari kaneri ने कहा…

बहुत सुन्दर भाव..काव्य संकलन "उदय शिखर" के लिए बहुत बहुत बधाई..उदय जी..आभार

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

आपके जन्मदिन की अग्रिम बधाईयाँ, यह जीवन किसी की कृपा है हम पर..

Satish Saxena ने कहा…

कमाल की रचना है भाई जी ....

काव्यसंकलन के प्रकाशन की बधाई स्वीकार करें !

संध्या शर्मा ने कहा…

जन्मदिन की अग्रिम शुभकामनायें... सही कहा है आपने हम सब उसके हाथों की कठपुतलियां हैं ...

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

दिन का पता नहीं उदय ,
ये रात किसी और की है -
महफ़िल, है जिंदगी की,
कायनात ,किसी और की है -

बहुत बढ़िया प्रस्तुती, सुंदर रचना,,,,,
जन्मदिन की बहुत बहुत बधाईयाँ,,,,,,उदय वीर जी,

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सुशील कुमार जोशी ने कहा…

उदयवीर जी का जवाब नहीं
अपनी बात सुनाई है
है किसी और की बताई है !

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

काव्य संकलन के लिए बहुत बहुत बधाई...जन्मदिवस की शुभकामनाएँ
सर्वशक्तिमान को समर्पित रचना बहुत सुंदर !!

Dinesh pareek ने कहा…

क्या खूब कहा आपने वहा वहा बहुत सुंदर !! क्या शब्द दिए है आपकी उम्दा प्रस्तुती
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