उनकी आजादी .....
मौन हृदय ,से मौन पूछता
कब उनका ध्वज फहराएगा ..
भूखा पेट , उदासा जीवन ,
कब तक आश्वाशन खायेगा..
रंग - ए -आजादी ,क्या रंगे
वसन रंगे , या गात रंगे,
तन , मृतप्राय , वसन - हीना,
धर्म रंगे या, जाति रंगे-
आजादी लगती, गाली जैसी ,
कब आजाद हो पायेगा -
सूनी आँखों से , मेघ गए
वसंत नहीं , हृदय बसता ,
बंजर धरती, कोख अभागी,
बोये तो बीज ,नहीं जमता -
जिस देश को अपना कहता है ,
कब तक हाथ फैलाएगा-
जब पैर रखे तो दलदल है ,
श्वांशों में है, जहरीलापन,
पानी में रसायन घुला हुआ
खाने में मयस्सर सड़ा अन्न,
तन उसका, अधिकार पराया
कब बंधन, तज पायेगा -
मित्र , प्रेम , मजदुर, दिवस ,
आडम्बर शब्दों में रचे गए ,
न बदली इस देश की सूरत
झंडों के रंग बस बदल गए -
कल सवाल था, आज सवाली ,
प्रश्नों के उत्तर कब पायेगा-
दिवस , दशक, सदियाँ बीतीं ,
न गया दर्द, दुर्दिन न गए ,
रोटी, कपड़ा मकान के कागज ,
कोरे के कोरे ही रहे-
फटे हुए हृदय को अपने ,
कब तक सीता जायेगा -
जन्म , मृत्यु फुटपाथों पर ,
तीज , त्यौहार फुटपाथों पर
लाडो की लाज फुटपाथों पर,
छोटू का देश फुटपाथों पर -
नैतिक, न्याय, धर्म का वाचक ,
कब राष्ट्र - धर्म निभाएगा-
उदय
वीर
सिंह .
15/ 08 / 2012
मौन हृदय ,से मौन पूछता
कब उनका ध्वज फहराएगा ..
भूखा पेट , उदासा जीवन ,
कब तक आश्वाशन खायेगा..
रंग - ए -आजादी ,क्या रंगे
वसन रंगे , या गात रंगे,
तन , मृतप्राय , वसन - हीना,
धर्म रंगे या, जाति रंगे-
आजादी लगती, गाली जैसी ,
कब आजाद हो पायेगा -
सूनी आँखों से , मेघ गए
वसंत नहीं , हृदय बसता ,
बंजर धरती, कोख अभागी,
बोये तो बीज ,नहीं जमता -
जिस देश को अपना कहता है ,
कब तक हाथ फैलाएगा-
जब पैर रखे तो दलदल है ,
श्वांशों में है, जहरीलापन,
पानी में रसायन घुला हुआ
खाने में मयस्सर सड़ा अन्न,
तन उसका, अधिकार पराया
कब बंधन, तज पायेगा -
मित्र , प्रेम , मजदुर, दिवस ,
आडम्बर शब्दों में रचे गए ,
न बदली इस देश की सूरत
झंडों के रंग बस बदल गए -
कल सवाल था, आज सवाली ,
प्रश्नों के उत्तर कब पायेगा-
दिवस , दशक, सदियाँ बीतीं ,
न गया दर्द, दुर्दिन न गए ,
रोटी, कपड़ा मकान के कागज ,
कोरे के कोरे ही रहे-
फटे हुए हृदय को अपने ,
कब तक सीता जायेगा -
जन्म , मृत्यु फुटपाथों पर ,
तीज , त्यौहार फुटपाथों पर
लाडो की लाज फुटपाथों पर,
छोटू का देश फुटपाथों पर -
नैतिक, न्याय, धर्म का वाचक ,
कब राष्ट्र - धर्म निभाएगा-
उदय
वीर
सिंह .
15/ 08 / 2012
3 टिप्पणियां:
वे क़त्ल होकर कर गये देश को आजाद,
अब कर्म आपका अपने देश को बचाइए!
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,,
राष्ट्रधर्म तो निभाना होगा..
वीर जी आप का आभार
पर आपको आभार भी हम
नहीं कह पाते हैं
क्योंकि मेल लौट आते हैं
veer.ji@live.com
कौन सा मेल है आपका
ये मेल वाले भी हमको
भटकाते हैं ?
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