शुक्रवार, 17 अगस्त 2012

सिंहता


स्मृतियाँ मुझे,  
व्यग्र करती हैं ,
मेरा अतीत,वर्त्तमान ,
विश्लेषित  करती हैं -
मैं क्या हूँ ....?
प्रतिस्पर्धा , ईर्ष्या,या
मानदंड  ?
किसी की प्रतिष्ठा है -
मेरा अपमान !
दांत गिनने ,
सवारी गांठने ,
मेरी कैद.....
सिर पर पांव रख ,
अतिउत्साह , आत्म मुग्ध हो
विजय भाव का प्रदर्शन .
.में  यशता क्यों है ..?
ख़ाल में भुस  भर,
अतिथि कक्ष सजाने की ,
इतनी विद्रूपता ,
प्रमाद- भाव क्यों है  ?
मेरे पराक्रम  सी, इच्छा है ,
मेरा  पराभव ही  उनकी प्रतिष्ठा है ....?
मेरे जूठन पर जीने वाला ,
सियार भी ,
करता है सवाल .....
कायर ,शक्तिहीन ,
विपन्न कहता है ...../
मेरी  भूख से विक्षोभ ,
मेरे अंत में शांति  !
कदापि नियम नहीं है
प्रकृति का ../
सिंह प्रवृति है ,
उन्माद की नहीं ,
संवाद की ,
संकल्प की ,कल के ,
निर्माण  की ........
उन्माद में
 कौन है .....?

          उदय वीर सिंह








11 टिप्‍पणियां:

Kailash Sharma ने कहा…

सिंह प्रवृति है ,
उन्माद की नहीं ,
संवाद की ,
संकल्प की ,कल के ,
निर्माण की ........

...मानव स्वभाव की विसंगतियों का बहुत सुंदर चित्रण... शुभकामनायें!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति!
इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (18-08-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति!
इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (18-08-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!

मनोज कुमार ने कहा…

संकल्प की ,कल के ,
निर्माण की ........
उन्माद में
कौन है .....?
वही जिसे मन की शांति नहीं सिंहता अच्छी लगती है।

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

उदय वीर सिंह दा जवाब नहीं !

Unknown ने कहा…

लाजवाब कविता के लिए उदयवीर जी को धन्यवाद.

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

बहुत सुंदर !

पर मेल आपका नहीं कर रहा काम

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udaya.veeji@gmail.com

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The email account that you tried to reach does not exist. Please try double-checking the recipient's email address for typos or unnecessary spaces. Learn more at http://support.google.com/mail/bin/answer.py?answer=6596

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

आज 20/08/2012 को आपकी यह पोस्ट (दीप्ति शर्मा जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!

Sunil Kumar ने कहा…

बहुत सुंदर क्या बात हैं

Onkar ने कहा…

सुन्दर कविता

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

शान्ति हेतु सिंह का उद्घोष..