कैसे जिंदगी , जिंदगी को हवा देती है ,
कैसे जिंदगी, जिन्दगी की दवा होती है -
परछाईयों के अक्स कहाँ, हमसाये जिंदगी के,
मेहरबान जिंदगी, उन पर कई मर्तबा होती है-
अफ़सोस छोड़ जाती है परछाई भी अंधेरों में,
जब तहे दिल से जिंदगी की इल्तजा होती है -
खिदमत- ए- खैर जिंदगी ने दुआ माँगा ,
कैसे जिंदगी , जिंदगी की वफ़ा होती है -
तिजारत नहीं जिंदगी, जिंदगी के लिए,
जिंदगी,न नुकसान होती है, न नफा होती है -
धरे रह जाते हैं ,दुनियां के मुक़द्दस पयाम
ख़ाली रह जाते हैं हाथ ,जब ख़फ़ा होती है -
जिंदगी हसीन है ,जिंदगी के, साथ यारों ,
जिंदगी से दूर जिंदगी ,बेनूर ,जफ़ा होती है -
उदय वीर सिंह
02/09/2012
13 टिप्पणियां:
बहुत खूब..गहरा..
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज रविवार (2-09-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
बहुत सुंदर !
वाह||
बहुत खूब
बहुत सुन्दर
:-)
बेहद खूबसूरत....
वाह!!!
सादर
अनु
बहुत ख़ूब!
आपकी यह सुन्दर प्रविष्टि आज दिनांक 03-09-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-991 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
धरे रह जाते हैं ,दुनियां के मुक़द्दस पयाम
ख़ाली रह जाते हैं हाथ ,जब ख़फ़ा होती है -
ज़िन्दगी एक नशा होती है ,
चढ़ा रहे तो ठीक ,उतरते ही खफा होती है .
ज़िन्दगी के कई रंगों का रूओपक और अभिव्यंजना आपकी इस खूब -सूरत गजल में है .
सोमवार, 3 सितम्बर 2012
Protecting Your Vision from Diabetes Damage मधुमेह पुरानी पड़ जाने पर बीनाई को बचाए रखिये
Protecting Your Vision from Diabetes Damage
मधुमेह पुरानी पड़ जाने पर बीनाई को बचाए रखिये
?आखिर क्या ख़तरा हो सकता है मधुमेह से बीनाई को
* एक स्वस्थ व्यक्ति में अग्नाशय ग्रंथि (Pancreas) इतना इंसुलिन स्राव कर देती है जो खून में तैरती फ़ालतू शक्कर को रक्त प्रवाह से निकाल बाहर कर देती है और शरीर से भी बाहर चली जाती है यह फ़ालतू शक्कर (एक्स्ट्रा ब्लड सुगर ).
मधुमेह की अवस्था में अग्नाशय अपना काम ठीक से नहीं निभा पाता है लिहाजा फ़ालतू ,ज़रुरत से कहीं ज्यादा शक्कर खून में प्रवाहित होती रहती है .फलतया सामान्य खून के बरक्स खून गाढा हो जाता है .
अब जैसे -जैसे यह गाढा खून छोटी महीनतर रक्त वाहिकाओं तक पहुंचता है ,उन्हें क्षतिग्रस्त करता आगे बढ़ता है .नतीज़न इनसे रिसाव शुरु हो जाता है .
आज 03/09/2012 को आपकी यह पोस्ट (दीप्ति शर्मा जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
बहुत सुंदर पहली बात
दूसरी बात मजा आ गया
देख कर के
कोई मेरी टिप्पणी उदय जी
के ब्लाग में घुसा ही गया
बहुत दिनों से नहीं जा रही थी
मेरी मेल में लौट आ रही थी !
बहुत खूब!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपसे मिलाना यादगार रहा. अच्छे लोगों से मिल कर खुशी होती है. और आपका ये ब्लॉग...क्या कहने...सुंदरा-प्यारी रचनाओं से सजे इस ''बाग़'' उर्फ़ 'ब्लॉग' को देखना सुगंध से भर लेना है अपने आप को...
अद्भुत भाई उदयवीर जी |सत् श्री अकाल |
आदरणीय पंकज साहब !
बाअदब शुक्रिया आपका , मेरे ब्लॉग पर आपका आना ही,मेरे लिए आपकी आशीष है / साहित्य के लायक मैं हूँ की नहीं ,मुझे नहीं पता पर ,मैं साहित्य से अगाध स्नेह रखता हूँ ......कितना रखता हूँ मुझे नहीं पता .....प्रबुद्ध-जन ही बता सकते हैं / आपका स्नेह टिपण्णी के रूप में मुझे नव -संचार व प्रचुर मात्रा में आत्मबल दे गया /ऋणी हैं हम आपके ,आपकी सदासयता ,व स्नेह के ...
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